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गोपालगंज में 53 पुलिस अफसरों पर हुई प्राथमिकी दर्ज, विभागीय कार्रवाई से पुलिस महकमे में मचा हड़कंप

Bihar News: गोपालगंज में एक साथ 53 पुलिस अफसरों विभागीय कार्रवाई की गयी है. इन सभी अफसरों पर अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज की गयी है.

Bihar News: गोपालगंज में एक साथ 53 पुलिस अफसरों पर अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. पुलिस अधीक्षक अवधेश दीक्षित के आदेश पर ये कार्रवाई की गयी है. इन सभी पुलिस अफसरों पर केस के अनुसंधानक (आइओ) रहते हुए कांड का प्रभार दूसरे अफसरों को नहीं देने का आरोप है. कुचायकोट, गोपालपुर, महम्मदपुर और बरौली थाने में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. पुलिस कार्यालय से जारी किये गये रिपोर्ट के अनुसार पुलिस अधिकारियों पर आपराधिक विश्वासघात का मामला दर्ज किया गया है. ये सभी केस पांच से 10 साल पुराने बताये जा रहें हैं.

अलग-अलग थानों में प्राथमिकी दर्ज

कुचायकोट थाने के पुलिस अवर निरीक्षक सुमन कुमार मिश्रा, अवधेश कुमार, कृष्णा तिवारी, शंभू मांझी, रितेश कुमार सिंह, भगवान तिवारी, अंबिका प्रसाद मंडल, रामवृक्ष पासवान, अर्जुन प्रसाद, अजय कुमार, बिनोद कुमार शामिल हैं. वहीं, गोपालपुर थाने के अनिल कुमार सिंह, कपिलदेव सिंह, सोमारू राम शामिल हैं. बरौली थाने के मुनीलाल सिंह, गिरजा प्रसाद सिंह, एमके तिवारी, रामबली सिंह, डोमन रजक, विजय कुमार सिंह, चंद्रिका प्रसाद, महामाया प्रसाद, जितेंद्र कुमार सिंह, रूपेश कुमार मिश्रा, बदरी प्रसाद यादव, दिलीप कुमार सिंह, अरविंद कुमार सिंह, अशोक चौधरी, जुबैर अहमद खां, रामेश्वर महतो, राजेंद्र प्रसाद यादव, जितेंद्र सिंह, आरएन राम, महम्मद सनाउल, बिनोद शर्मा, रामप्रवेश राय, संजीव कुमार, राम अयोध्या पासवान, सुरेश पासवान, एस अंसारी, एमएम झा, राजदेव प्रसाद यादव, कन्हैया तिवारी, सुरेश ठाकुर, रामनिहोरा राय, समीर अहमद, एनके सिंह, एके सिंह, उग्रनाथ झा, राजकुमार क्षत्रिय, संजय कुमार यादव शामिल हैं.

जानें पूरा मामला

महम्मदपुर थाने के अनिल कुमार सिंह, अजय कुमार सिंह, बागेश्वर राम शामिल हैं. भारतीय न्याय संहिता की धारा 316(5) के तहत सभी 53 पुलिस अफसरों पर मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अधीक्षक अवधेश दीक्षित द्वारा पिछले दिनों किये गये लंबित केसों की समीक्षा में यह मामला सामने आया था. इसके बाद पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर विभिन्न थानों में मामला दर्ज किया गया. आरोपित सभी केस के आइओ जिला से ट्रांसफर होकर दूसरे जिलों में चले गए तो साथ में कई आपराधिक वारदातों की जांच फाइल भी लेकर चले गए. इस कारण पांच से दस साल से अधिक समय से सैकड़ों केस पेंडिंग पड़े हुए हैं.

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