33 वर्षों तक लड़ा मुकदमा, कोर्ट में साक्ष्य नहीं दे सकी पुलिस, चार अभियुक्त किये गये बाइज्जत बरी
जानलेवा हमले के केस में 33 वर्षों के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-10 मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में चार अभियुक्तों को बाइज्जत बरी कर दिया.
गोपालगंज. जानलेवा हमले के केस में 33 वर्षों के बाद अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-10 मानवेंद्र मिश्र के कोर्ट ने साक्ष्य के अभाव में चार अभियुक्तों को बाइज्जत बरी कर दिया. कोर्ट का फैसला आने के साथ ही जहां पीड़ितों का जहां दर्द छलक पड़ा, वहीं अभियुक्तों की आंखें डबडबा उठीं. पिछले 33 वर्षों तक दोनों पक्ष इंसाफ पाने के लिए पुलिस व कचहरी का चक्कर लगाते रहे. जवानी में हुई घटना का बुढ़ापे में फैसला आया. पुलिस केस को कोर्ट में साबित करने में असफल रही. इससे चारों अभियुक्त गुड्डू मिश्र, टुन्नु मिश्र, चुन्नू मिश्र व टुन्नू मिश्र को साक्ष्य के अभाव मे संदेह का लाभ देते हुए आरोप से दोषमुक्त कर दिया. कोर्ट ने अभियोजन की इस विफलता को लेकर डीएम को आदेश की प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया है. इस केस में डॉक्टर, कांड के आइओ की गवाही कराने में पुलिस विफल रही. इसका लाभ अभियुक्तों को मिला. सुनवाई के दौरान कोर्ट की ओर से तमाम अवसर देने के बाद भी कांड के आइओ व इलाज करने वाले डॉक्टर गवाही देने कोर्ट में नहीं आये. उनपर कोर्ट की ओर से वारंट भी जारी किया गया. इसके बाद भी नहीं आये. अभियोजन साक्षी राम नरेश मिश्र एवं दिनेश चंद्र मिश्र दोनों सगे भाई हैं. नरेंद्र मिश्र ने अभियोजन के मामले का समर्थन नहीं किया. उनको पक्षद्रोही घोषित किया गया. इस कांड में जख्मी धनेश मिश्र अपना बयान देने के लिए न्यायालय में उपस्थित नहीं हुए. राम नरेश मिश्र ने अपने प्रतिपरीक्षण में यह स्वीकार किया कि अभियुक्तों से जमीन का विवाद चल रहा था. दिनेश चंद्र मिश्र अपने प्रतिपरीक्षण के लिए उपस्थित नहीं हुए .सूचक के उपरोक्त लिखित आवेदन के आधार पर कटेया थाना कांड सं0-118/1991 धारा-147, 148, 149, 323, 324, 307, 379 भादवि के तहत प्राथमिकी के नामजद अभियुक्त के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गयी. अनुसंधानकर्ता के द्वारा अनुसंधान के बाद घटना को सत्य पाते हुए अभियुक्त व्यास मिश्र, गुड्डू मिश्र, टुन्नु मिश्र, चुन्नू मिश्र, टन्नू मिश्र के आरोप पत्र न्यायालय में समर्पित किया था.
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