लॉकडाउन से शहर को बनाया स्वच्छ, शांत हवाओं ने दी राहत
लॉकडाउन जीवन की भागदौड़ से थमने का अगर किसी को सर्वाधिक फायदा पहुंचाया है तो वह हैं सांस के रोगी. प्रदूषण से आजाद हवा में ये रोगी सुकून की सांस ले रहे हैं. शहर का प्रदुषण लेबल बिल्कुल सुधर चुका है.
गोपालगंज : लॉकडाउन जीवन की भागदौड़ से थमने का अगर किसी को सर्वाधिक फायदा पहुंचाया है तो वह हैं सांस के रोगी. प्रदूषण से आजाद हवा में ये रोगी सुकून की सांस ले रहे हैं. शहर का प्रदुषण लेबल बिल्कुल सुधर चुका है. ऐसे ही तो अपने शहर का लेबल होना चाहिए. वाहनों के परिचालन के रूकने के कारण स्थिति में सुधार हुआ है. शहर के वातावरण में पिछले कुछ वर्षो में ब्लैक कार्बन की मात्रा तेजी से बढ़ी है. इसकी बड़ी वजह वाहनों की संख्या में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी है. चूंकि लॉकडाउन की वजह से वाहन नहीं चले हैं, इसलिए एक्यूआइ नियंत्रण में आ गया है. सांस की रोग की 80 फीसदी वजह वायु प्रदूषण है. चूंकि प्रदूषण का स्तर गिरा है, इसलिए रोगियों की शिकायत भी दूर हुई है.
शहर के प्रमुख चिकित्सक डॉ शंभुनाथ सिंह की माने तो लॉकडाउन हुआ तो मुझे सांस के रोगियों को लेकर चिंता हुई क्योंकि उन्हें निरंतर हमारे संपर्क में रहना होना होता है. खुशी की बात यह है कि चिंता वाले ज्यादातर मरीजों की दिक्कत कम होने की सूचना फोन के माध्यम से मिल रही है. इस स्तर पर आया प्रदूषणबीते एक सप्ताह के एक्यूआइ के आंकड़ों पर अगर नजर डालें तो वह 100 से 50 माइक्रोग्राम घनमीटर के बीच सिमट कर रह गया है, जबकि लॉकडाउन से पहले यह आंकड़ा ज्यादातर 200 के करीब रहता था.
मौसम विज्ञानी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि आमतौर होली के बाद धूल भरी हवाओं के चलते एक्यूआइ बढ़ता है लेकिन इस बार यह स्थिति नहीं है. इससे साबित हुआ है कि एक्यूआइ के बढऩे के जिम्मेदार पूरी तरह से हमारी गतिविधियां हैं. तापमान में भी तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. पिछले 24 घंटे में अधिकतम तापमान 2.1 डिग्री बढ़कर 26.3 व न्यूनतम 19.1 डिग्री पर पहुंच गया. जबकि पछुआ हवाएं 12.3 किमी के रफ्तार से चलती रही. बीते एक सप्ताह में शहर का एक्यूआइतिथि एक्यूआइ31 मार्च 5530 मार्च 5929 मार्च 5028 मार्च 6427 मार्च 7026 मार्च 8825 मार्च 105