विशंभरपुर में झील में कटाव से बांध काे खतरा

नेपाल में हुई बारिश से गंडक नदी का तेजी से जल स्तर बढ़ रहा है. 24 घंटे में 55 सेमी नदी का स्तर बढ़कर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया.

By Prabhat Khabar News Desk | July 29, 2024 9:39 PM

गोपालगंज. नेपाल में हुई बारिश से गंडक नदी का तेजी से जल स्तर बढ़ रहा है. 24 घंटे में 55 सेमी नदी का स्तर बढ़कर खतरे के निशान से ऊपर पहुंच गया. पतहरा में नदी खतरे के निशान से पांच सेमी, तो टंडसपुर में 20 सेमी ऊपर बहने लगा. वाल्मीकिनगर बराज से डिस्चार्ज सुबह छह बजे जहां 1.44 लाख क्यूसेक, तो शाम छह बजे घट कर 1.19 लाख क्यूसेक पर रहा. नदी के जल स्तर में मंगलवार की दोपहर से कमी आने की संभावना है. नेपाल में होने वाले बारिश पर जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों की नजर है. नेपाल में बारिश का रोज आकलन किया जा रहा. उधर, गंडक नदी के जल स्तर के घटने-बढ़ने के साथ पुरवा हवा कटाव के लिए खतरनाक मानी जाती है. उधर, अहिरौलीदान – विशुनपुर बांध पर विशंभरपुर के सामने झील काे नदी पिछले 24 घंटे में काट कर अब बांध पर पहुंच गयी है. बांध पर कटाव हुआ, तो इलाके में तबाही को रोकना मुश्किल हो सकता है. विशंभरपुर उत्क्रमित उच्च विद्यालय के सामने नदी का अटैक अब बांध की ओर है, जिससे इलाके के लोगों में दहशत का माहौल व्याप्त है. बांध पर सहायक अभियंता एकता कुमारी, कनीय अभियंता दिनेश कुमार, संगम कुमार पटेल, दीपक कुमार, झुना कुमार के अलावा मानव बल को तैनात किया गया है, जिसकी 24 घंटे निगरानी की जा रही है. उधर, जल संसाधन विभाग की टीम लगातार तटबंधों पर मॉनीटरिंग कर रही है. छह प्रखंडों में बाढ़ को लेकर प्रशासन भी हाइ अलर्ट मोड में है. विशंभरपुर में बांध के करीब नदी के पहुंचने से विशंभरपुर, काला मटिहनियां, दुर्ग मटिहनियां, गुमनिया, धूप सागर, भगवानपुर समेत दर्जन भर गांवों पर खतरे से इंकार नहीं किया जा सकता है. ग्रामीणों का कहना है की नदी का सीधा अटैक स्कूल पर हो सकता है. झील को काटने के बाद नदी बांध के करीब आ रही है. गंडक नदी का रूप पल-पल बदलता है. कनीय अभियंता दिनेश कुमार ने बताया कि झील कट रही है. परंतु बांध पर कोई खतरा नहीं है. विशंभरपुर में बांध के पास नदी के पहुंचने के बाद कार्यपालक अभियंता पवन कुमार ने सरकारी नंबर रिसीव नहीं किया. वहीं बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष नवल किशोर सिंह ने बताया कि नदी पहले भी विशंभरपुर में बांध के पास से ही सट कर बह रही थी. बीच में झील से राहत थी. नदी ने अपनी धारा बदली है. इससे कोई खतरा बांध को नहीं है. कहीं से घबराने की जरूरत नहीं है. वहां इंजीनियरों की टीम कैंप कर रही है.

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