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जमीन सर्वे के मामले में मत हों परेशान, वंशावली में शपथपत्र की जरूरत नहीं

बिहार में जमीन का सर्वे का काम शुरू है. जमीन के सर्वे के दौरान नियमों की जानकारी के अभाव में लोग शारीरिक व मानसिक रूप से टॉर्चर हो रहे हैं. दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं. कभी वंशावली बनाने के लिए तो कभी शपथ पत्र बनाने के लिए. शपथ पत्र बनाने के लिए कोर्ट में स्टांप के लिए सुबह चार बजे से ही लाइन लग रही है, जो देर रात तक दिख रही.

By Prabhat Khabar News Desk | September 1, 2024 10:18 PM

गोपालगंज. बिहार में जमीन का सर्वे का काम शुरू है. जमीन के सर्वे के दौरान नियमों की जानकारी के अभाव में लोग शारीरिक व मानसिक रूप से टॉर्चर हो रहे हैं. दफ्तरों का चक्कर काट रहे हैं. कभी वंशावली बनाने के लिए तो कभी शपथ पत्र बनाने के लिए. शपथ पत्र बनाने के लिए कोर्ट में स्टांप के लिए सुबह चार बजे से ही लाइन लग रही है, जो देर रात तक दिख रही. सर्वाधिक मारामारी जमीन की खतियान को निकालने के लिए हो रहा है. लोगों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है. इस भ्रम की स्थिति को लेकर प्रभात खबर की टीम ने सर्वे के लिए तैनात जिला बंदोबस्त पदाधिकारी अनिल कुमार से संपर्क कर भ्रम की स्थिति को खत्म करने के लिए बातचीत की. उनके द्वारा स्पष्ट किया गया कि सर्वे में कहीं भी वंशावली व खतियान की जरूरत नहीं है. भू- स्वामी को एक फॉर्मेट दिया गया है. उस फॉर्मेट में साफ लिखा हुआ कि वंशावली स्वलिखित देना है. स्वलिखित वंशावली ही मान्य होगी. विवाद की स्थिति में वंशावली सरपंच की ओर से जारी लगेगी. अपनी जमीन का कागज साक्ष्य के रूप में लगाना है. इसके लिए जमीन की रसीद, दस्तावेज, जमाबंदी का कागज लगाया जा सकता है. कही भी खतियान की जरूरत नहीं है. खतियान के हिसाब से अब कोई रैयत नहीं है. जमीन की खरीद-बिक्री भी होगी. ऐसे में परेशान होने की जरूरत नहीं है. फॉर्मेट में स्वलिखित जमा करें. सर्वे होगा. अब वंशावली बनाने व खतियान की जरूरत विवाद की स्थिति में ही पड़ेगी. सर्वे टीम के द्वारा ग्राम पंचायतों में ग्रामसभा कर नियमों को जानकारी दी जा रही है. ग्रामसभा की ठोस जानकारी पंचायतों की ओर से नहीं दी जा रही. इसके कारण ग्रामसभा में मुखिया के करीबी, वार्ड सदस्यों के करीबी लोग ही शामिल हो रहे हैं. उनके द्वारा गांव में आकर भ्रम की स्थिति उत्पन्न कर दी जा रही है. लोग अपने पुरखों की संपत्ति को बचाने के लिए कागज तैयार कराने के नाम पर शारीरिक व मानसिक, आर्थिक रूप से टॉर्चर होने को मजबूर हो जा रहे हैं. अगर पंचायतों की ओर से सभी लोगों की उपस्थिति के लिए माइकिंग करायी गयी होती या डुगडुगी से जानकारी दी जाती, तो लोग नियम-कानून को समझते. ऐसी नौबत नहीं आती. वंशावली बनाने के लिए प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट के यहां अचानक 20 गुना भीड़ को देखने के बाद नोटिस चिपकाया गया कि वंशावली के लिए शपथ पत्र नहीं बनेगा. नोटिस में लिखा गया कि वंशावली में मजिस्ट्रेट के शपथ पत्र की जरूरत नहीं है. हालांकि इसके बाद भी लोगों की भीड़ कम नहीं हो रही है.

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