भारत सरकार से पेटेंट हुई युवा वैज्ञानिक विजय शंकर की ड्रोन तकनीक

जिले के कटेया प्रखंड के पटखौली की धरती से निकला सितारा आज विज्ञान के क्षितिज पर चमचमा रहा है. इस गांव के निवासी रिटायर्ड प्रिंसिपल ब्रजनाथ द्विवेदी के बेटे युवा वैज्ञानिक विजय शंकर द्विवेदी द्वारा तैयार की गयी ड्रोन तकनीकी पर पूरे हिंदुस्तान को गर्व है.

By Prabhat Khabar News Desk | April 28, 2024 10:04 PM

पंचदेवरी. जिले के कटेया प्रखंड के पटखौली की धरती से निकला सितारा आज विज्ञान के क्षितिज पर चमचमा रहा है. इस गांव के निवासी रिटायर्ड प्रिंसिपल ब्रजनाथ द्विवेदी के बेटे युवा वैज्ञानिक विजय शंकर द्विवेदी द्वारा तैयार की गयी ड्रोन तकनीकी पर पूरे हिंदुस्तान को गर्व है. कानपुर आइआइटी से एयरोस्पेस से पीएचडी करने के दौरान चार वर्षों पूर्व विजय शंकर ने सौर ऊर्जा से चलने वाला देश का पहला ड्रोन मराल-2 तैयार किया था. खास बात यह है कि इस तकनीक को भारत सरकार द्वारा पेटेंट कर लिया गया है. 20 साल की अवधि के लिए पेटेंट अनुदत्त कर केंद्र सरकार ने युवा वैज्ञानिक को संबंधित प्रमाणपत्र प्रदान किया है. विजय शंकर द्विवेदी की इस उपलब्धि से गोपालगंज की मिट्टी भी गौरवान्वित हुई है. अद्भुत तकनीक से बनाये गये पहले मानव रहित सोलरयान की चर्चा पूरी दुनिया में है. इस तकनीक की शुरुआत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांति मानी जा रही है. खास बात यह भी है कि इससे संबंधित तकनीक डिफेंस कॉरिडोर तथा रक्षा उत्पाद बनाने वाली देश की विभिन्न कंपनियों के लिए कारगर साबित होगी. विजय शंकर द्विवेदी के चाचा व समाजसेवी आशुतोष द्विवेदी ने बताया कि कानपुर आइआइटी से पीएचडी करने के बाद विजय शंकर इंग्लैंड के क्रैनफील्ड यूनिवर्सिटी से पोस्ट डॉक्टरेट की उपाधि ले रहे हैं. कई आधुनिक तकनीकों के रिसर्च में जुटे हुए हैं. युवा वैज्ञानिक विजय शंकर को सरकार द्वारा सम्मानित भी किया जा चुका है. पिछले वर्षों तत्कालीन मानव संसाधन विकास मंत्री के साथ देश के कई बड़े वैज्ञानिकों ने भी सौर ऊर्जा व बैटरी से संचालित इस ड्रोन का जायजा लिया था तथा इसकी तकनीक की सराहना की थी. इससे पूर्व गृह मंत्री अमित शाह तथा यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में लखनऊ डिफेंस कॉरिडोर के उद्घाटन के मौके पर इस अद्भुत ड्रोन के निर्माण को लेकर विजय शंकर को डिफेंस कॉरिडोर के बादशाह से सम्मानित किया गया. यह सौर ऊर्जा से चलने वाला देश का पहला ड्रोन (मानव रहित सोलरयान) है, जिसे विजय शंकर ने विशेष रूप से सेना के लिए तैयार किया है. इसकी लंबाई लगभग पांच मीटर है तथा यह लगभग 15 किलोग्राम के भार को आसानी से ऊपर लेकर अधिकतम दो सौ किमी तक जा सकता है. यह 12 से 18 घंटे तक लगातार ऊपर उड़ सकता है. हवाई निरीक्षण के साथ-साथ विभिन्न विपरीत परिस्थितियों में यह काफी उपयोगी साबित हो सकता है. इसका नाम मराल-2 दिया गया है. इससे पूर्व कानपुर आइआइटी से ही बीटेक करने के क्रम में विजय शंकर व उनकी टीम ने मराल-1 तैयार किया था, जिसमें संशोधन कर बाद में मराल-2 तैयार किया गया.

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