मौसम के उतार-चढ़ाव से डायरिया और चेचक का बढ़ा प्रकोप, बीमार हो रहे लोग
मौसम के उतार-चढ़ाव से लोग बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं. बारिश, तो कभी धूप. तापमान बढ़ने-घटने के साथ ही इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ने लगा है. बारिश तो कभी तेज धूप, मौसम के उतार-चढ़ाव से पिछले पांच दिनों में गर्मी से उल्टी-दस्त, पेट दर्द के साथ ही डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ी है.
गोपालगंज. मौसम के उतार-चढ़ाव से लोग बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं. बारिश, तो कभी धूप. तापमान बढ़ने-घटने के साथ ही इसका सीधा असर लोगों की सेहत पर पड़ने लगा है. बारिश तो कभी तेज धूप, मौसम के उतार-चढ़ाव से पिछले पांच दिनों में गर्मी से उल्टी-दस्त, पेट दर्द के साथ ही डायरिया के मरीजों की संख्या बढ़ी है. मौसम का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है. ज्यादातर बच्चे उल्टी-दस्त के अलावा वायरल फीवर से भी परेशान हैं. सदर अस्पताल से लेकर निजी अस्पतालों में भी मरीजों का इलाज हो रहा है. सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ शशि रंजन प्रसाद ने बताया कि गर्मी में बच्चों का खास ख्याल रखने की जरूरत है. बच्चे दूषित पानी या फिर अन्य चीज खा लेते हैं, जो नुकसान करता है. साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए. पारा बढ़ते ही पहुंचे उल्टी-दस्त के मरीज : सदर अस्पताल में एक ही परिवार के तीन लोग उल्टी-दस्त से बीमार होकर पहुंचे. पीड़ित मरीज सदर प्रखंड के सरेया मुहल्ले के निवासी थे. परिजनों ने बताया कि बासी भोजन खाने के बाद उल्टी-दस्त होने लगा. इसके बाद इमरजेंसी वार्ड में महिला समेत दोनों बच्चों को भर्ती कराया गया. वहीं बताया जाता है कि चेचक मरीज के घर होने पर सब्जी आदि में छौंका नहीं लगाया जाये, रोगी को गर्म मसाले वाला भोजन, तली हुई वस्तु, ठंडी या गर्म चीजें नहीं देनी चाहिए, बुखार अधिक होने पर रोगी को दूध और चाय के अलावा और कुछ नहीं देना चाहिए, रोगी के कमरे के बाहर नीम की टहनी लटका देनी चाहिए, कुछ पत्ते उसके बिस्तर पर बिछा देना चाहिए. वहीं नीम की पत्तियों को पीसकर रोगी के शरीर पर लगाना चाहिए. इससे उसके शरीर को ठंडक मिलती है. वहीं जो गर्भवती महिलाएं होती हैं, उन्हें चेचक के रोगी से दूरी बना कर रखनी चाहिए.
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