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नदी से बचाव के लिए 38 करोड़ की डीपीआर को चुनाव आयोग से मिली मंजूरी, अब टेंडर में उलझा विभाग

लोकसभा चुनाव के आचार संहिता के पेच में गंडक नदी के बचाव कार्य भी फंसा रहा. चुनाव आयोग से मंजूरी मिलने के बाद अब जल संसाधन विभाग की ओर से टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गयी है. टेंडर में विभाग उलझा हुआ है. विभाग के पास बचाव कार्य को कराने के लिए महज 55 दिन ही बचा है. ऐसे में विभाग में टेंशन बढ़ा हुआ है. लेट से मंजूरी मिलने से एक-एक दिन भारी पड़ रहा है. टेंडर की प्रक्रिया में ही अभी 15-20 दिन का समय लग सकता है. इतना कम समय में बांध पर बचाव कार्य के 15 जून तक काम को पूरा कराने की चुनौती भी होगी.

गोपालगंज. लोकसभा चुनाव के आचार संहिता के पेच में गंडक नदी के बचाव कार्य भी फंसा रहा. चुनाव आयोग से मंजूरी मिलने के बाद अब जल संसाधन विभाग की ओर से टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गयी है. टेंडर में विभाग उलझा हुआ है. विभाग के पास बचाव कार्य को कराने के लिए महज 55 दिन ही बचा है. ऐसे में विभाग में टेंशन बढ़ा हुआ है. लेट से मंजूरी मिलने से एक-एक दिन भारी पड़ रहा है. टेंडर की प्रक्रिया में ही अभी 15-20 दिन का समय लग सकता है. इतना कम समय में बांध पर बचाव कार्य के 15 जून तक काम को पूरा कराने की चुनौती भी होगी. ध्यान रहे कि बता दें कि जिले के तटबंधों पर आठ वीक प्वाइंट को देखते हुए एक्सपर्ट की ओर से डीपीआर तैयार कर जल संसाधन विभाग को मंजूरी लेने के बाद चुनाव आयोग को भेजा गया था. गंडक नदी का मिजाज काफी खतरनाक माना जाता है. बिहार में गंडक व कोशी सर्वाधिक कटाव करती है. दोनों नदी हिमालय के नेपाल के पहाड़ों से निकलती है. जिले के छह प्रखंड कुचायकोट, सदर, मांझा, बरौली, सिधवलिया व बैकुंठपुर प्रखंड के 3.64 लाख की आबादी बाढ़ के खतरे में रहता है. लोगों के जान-माल का खतरा बना रहता है. साल दर साल बाढ़ से दियारा के लोग बर्बाद होते रहे हैं. इस बर्बादी को रोकने के लिए जल संसाधन विभाग के सामने बड़ी चुनौती है. गंडक नदी के कटाव से सदर प्रखंड के कटघरवा, मकसूदपुर, खाप, मेहंदिया, भोजली, रजवाही, धर्मपुर, निरंजना, कुचायकोट प्रखंड के विशंभरपुर, भसही, कला मटिहानी वार्ड नं एक, वार्ड नं तीन, हजाम टोली, अहीर टोली, टांड पर, बरौली प्रखंड के सिमरिया, रूप छाप, मोहदीपुर, पकडियां समेत 169 गांव उजड़ चुके हैं. जल संसाधन विभाग के कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार ने बताया कि 38 करोड़ की प्रोजेक्ट पर काम करने की मंजूरी विभाग से मिलने के दौरान आचार संहिता लग गया था. आयोग से मंजूरी मिलने के बाद अब टेंडर की प्रक्रिया चल रही है. टेंडर फाइनल होने के बाद बचाव कार्य तेज हो जायेगा.

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