नेपाल में बारिश से गंडक बेकाबू, खतरे के निशान से 1.10 मीटर ऊपर पहुंची

नेपाल में हो रही बारिश कहर बनकर गंडक नदी में पहुंच रही है. नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है. पिछले 24 घंटे में 85 सेमी जल स्तर बढ़कर खतरे के निशान से 1.10 मीटर ऊपर पहुंच गयी है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 12, 2024 10:12 PM

गोपालगंज. नेपाल में हो रही बारिश कहर बनकर गंडक नदी में पहुंच रही है. नदी का जल स्तर तेजी से बढ़ रहा है. पिछले 24 घंटे में 85 सेमी जल स्तर बढ़कर खतरे के निशान से 1.10 मीटर ऊपर पहुंच गयी है. वहीं पतहरा में भी नदी 27 सेमी से 69 सेमी ऊपर पहुंच गयी. उधर, वाल्मीकिनगर बराज से शुक्रवार को डिस्चार्ज सुबह 2.97 लाख क्यूसेक था जो शाम छह बजे बढ़कर 3.57 लाख क्यूसेक पर पहुंच गया. इससे नदी का दबाव तटबंधों पर बढ़ा है. सर्वाधिक दबाव अहिरौलीदान से विशुनपुर तटबंध पर भसही व भगवानपुर में तटबंध पर सीधा अटैक होने से दबाव बढ़ गया है. भैसही-पुरैना, शीतलपुर, मूंजा, पकहां बांध पर होने के कारण यहां चौकसी बढ़ा दी गयी है. नदी के जल स्तर में वृद्धि के कारण तटबंधों पर हाइअलर्ट में इंजीनियरों को रखा गया है. उधर, गंगा नदी के उफान पर होने के कारण गंडक नदी का पानी का बहाव स्लो हो गया है. इस कारण बैकुंठपुर के निचले इलाके में पानी फैल रहा है. लगातार हो रही बारिश के कारण निचले इलाके के लोगों पर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है. 43 गांवों के लोग नदी के रुख को देख रहे हैं. जैसे ही पानी का स्तर बढ़ेगा, लोग घर-बार छोड़ने की तैयारी में हैं. गांव के पानी से घिरने के कारण नाव ही एकमात्र सहारा बची है. स्कूल आंगनबाड़ी में भी पानी भरने लगा है. इससे स्थिति बिगड़ रही है. वहीं कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार, पतहरा में ऋषभ राज, टंडसपुर में धीरेंद्र विक्रम की टीम लगातार चौकसी में जुटे रहे. पल-पल की स्थिति का आकलन कर तैयारियां की जा रही हैं. मुख्य अभियंता संजय कुमार ने बताया कि जिले में तटबंध पूरी तरह से सुरक्षित है. कही भी कोई दिक्कत नहीं है. विभाग लगातार स्थिति पर नजर रख रहा है. एक सप्ताह में दोबारा नदी के उफनाने के कारण निचले इलाके के गांवों की हालत बिगड़ने लगी है. इसके पहले 4.40 लाख क्यूसेक पानी से छोटे-छोटे तालाब, गढ्डा, नाला भर गया. अब गंगा नदी भी उफान पर है. ऐसे में गांवों में स्थिति के भयावह होने का खतरा है. नदी का इतिहास रहा है कि पानी के घटने- बढ़ने के स्थिति में बांध पर कटाव होता रहता है. तटबंधों पर दबाव को देखते हुए कुचायकोट, सदर, मांझा, बरौली, सिधवलिया व बैकुंठपुर के 43 गांव, जो नदी व बांध के बीच में हैं, वे पूरी तरह से घिर चुके हैं. आने-जाने वाले सभी सड़कों पर पानी की धारा बहने लगा है. नाव ही एकमात्र सहारा बचा है. जिला व प्रखंड मुख्यालयों से संपर्क टूट गया है. पानी शनिवार को और बढ़ेगा. उसके बाद की तबाही से लोग सहमे हुए है. पहाड़ी इलाके से आने वाले सांप, बिच्छू, जंगली जानवरों का खौंफ रात में सोने नहीं दे रहा. कुचायकोट प्रखंड के कालामटिहनियां, सदर प्रखंड के भसही, धर्मपुर,सदर प्रखंड के सेमराही, मुंगरहा, निमुइया रामनगर, जगीरीटोला, कठघरवां, मकसुदपुर, मेहंदियां, निरंजना, रामपुर टेंगराही, शीतलपुर- बंजरिया बांध के टूटने से प्रखंड के शीतलपुर, बंजरिया, अमरपुरा ,सल्लेहपुर, टंडसपुर, अमरपुरा,डुमरिया आदि गांवों में बाढ़ का पानी फैलने लगा है, तो बैकुंठपुर के पकहा, धर्मबारी, बंगरा, सत्तरघाट, प्यारेपुर, आशा खौरा, फैजुल्लाहपुर गांवों पानी के घटने -बढ़ने के कारण स्थिति बिगड़ी हुई है.

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