Lok Sabha Election 2024: धर्म संकट में सुदामा! पार्टी या परिवार, किसके लिए मांगेंगे जनता से आशीर्वाद
सुदामा मांझी पहले खुद और बाद में बेटे के लिए एनडीए से टिकट लेने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन एनडीए के शीर्ष नेताओं के निर्णय के बाद गोपालगंज की सीट जेडीयू के खाते में चली गयी और उन्हें मायूस होना पड़ा.
संजय कुमार अभय, गोपालगंज
Lok Sabha Election 2024 राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद अपने बेटी रोहिणी आचार्या के लिए सारण में चुनाव मैदान में उतरे है. लोजपा आर के सुप्रीमो चिराग पासवान अपने बहनोई के लिए जमुई में वोट मांगे. तो वहीं गोपालगंज लोकसभा सीट सुरक्षित है. भाजपा के सुदामा धर्म संकट में पड़ गये है. परिवारिक धर्म का संकट है. बेटे के लिए वोट मांगे या पार्टी के संकल्प पर चलेंगे, यह सवाल उठने लगा है. हालांकि सुदामा मांझी की तरफ से अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गयी है. यहां 19 अप्रैल से नामांकन शुरू हो रहा और 25 मई को मतदान है. चुनाव छठे चरण में है, इसलिए अभी सुदामा मांझी या उनकी पार्टी बीजेपी की ओर से कोई निर्णय नहीं लिया गया है.
अब आने वाला वक्त बतायेगा कि गोपालगंज का परिदृश्य इस चुनाव में क्या होगा. सुदामा मांझी के बेटा प्रेमनाथ चंचल को इंडिया गठबंधन की ओर से चुनाव मैदान में उतार दिया गया है. चुनाव में टिकट मिलने के बाद अब सुदामा मांझी धर्म संकट में है कि वे परिवार के लिए जनता के बीच जाकर आशीर्वाद मांगे कि पार्टी के लिए जनता के बीच जाये. उधर, सुदामा मांझी के बेटे को उम्मीदवार बनाये जाने के बाद भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी नजर रखने लगा है. भाजपा के जिलाध्यक्ष संदीप कुमार गिरि ने बताया कि सुदामा मांझी ने पार्टी को आश्वस्त कर रहे कि वे बेटे के लिए चुनाव में नहीं जायेंगे. अगर वे बेटे के खातीर जनता के बीच जाते है तो उनपर पार्टी निर्णय लेगी. फिलहाल हाइकमान को भाजपा की ओर से स्थिति को अवगत करा दिया गया है.
जानिये कौन हैं सुदामा मांझी
सुदामा मांझी एक सफल इंजीनियर और बिजनेसमैन हैं. बीजेपी के गोपालगंज में कद्दावर नेता माने जाते हैं और उनका पिछड़ा वर्ग में खास पैठ है. खासकर दलित और महादलित समुदाय के लोग उन्हें अपना नेता मानते हैं, यही वजह रही कि बीजेपी ने उन्हें अनुसूचित जाति मोर्चा का जिलाध्यक्ष बनाया है. सुदामा मांझी पहले खुद और बाद में बेटे के लिए एनडीए से टिकट लेने के लिए प्रयासरत थे, लेकिन एनडीए के शीर्ष नेताओं के निर्णय के बाद गोपालगंज की सीट जेडीयू के खाते में चली गयी और उन्हें मायूस होना पड़ा. ऐसे में महागठबंधन ने इसका फायदा उठाया और इंजीनियर सुदामा मांझी के बेटे प्रेमनाथ चंचल को अपना उम्मीदवार बनाया है
सुदामा को लेकर भाजपा में भी बढ़ी टेंशन
भाजपा के सुदामा मांझी अनुसूचित जाति-जनजाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक है. उनके बेटा को इंडिया गठबंधन से टिकट मिलने के बाद भाजपा भी टेंशन में आ गयी है. सुदामा मांझी का भाजपा में खास पहचान होने के साथ ही समाज के लोगों में भी काफी पकड़ है. ऐसे में भाजपा वेट एंड वाच की नीति अपना रही. अगर वे बेटा के लिए जनता में गये तो पार्टी निर्णय लेगी. अभी तो नामांकन तक परिदृश्य के साफ होने की उम्मीद है.
प्रेमनाथ चंचल को उतार कर कोर वोटों में सेंधमारी
भाजपा के कद्दावर नेताओं में अपनी पहचान बनाने वाले सुदामा मांझी के पुत्र प्रेमनाथ चंचल भी आरएसएस से जुडे रहे है. ऐसे में वीआइपी ने टिकट देकर भाजपा के कोर वोटरों में सेंधमारी की कोशिश की है. राजनीतिक जानकार बताते है कि भाजपा के कुछ वर्कर नाराज है उनका लाभ इनको मिल सकता है.