गोपालगंज. राजेंद्र नगर बस स्टैंड के सरकारी जमीन का फर्जी जमाबंदी कांड में एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार की रिपोर्ट के बाद डीएम मो मकसूद आलम एक्शन मोड में हैं. प्रशासन की ओर से गंभीरता से लेकर बड़ी कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. डीएम ने जमाबंदी में फर्जीवाड़ा में शामिल सदर अंचल के सीओ गुलाम सरवर, सीआई जयशंकर प्रसाद, राजस्व कर्मचारी दिनेश मिश्र की संलिप्तता को देखते हुए जवाब तलब किया है. डीएम ने 24 घंटे के भीतर जवाब देने का मौका दिया है. प्रशासन की ओर से कार्रवाई शुरू होने के साथ ही फर्जीवाड़े में लिप्त अधिकारी से लेकर माफियाओं में हड़कंप मच गया है. माफियाओं के खिलाफ भी प्रशासन सख्ती से कार्रवाई करने की तैयारी में है. सूत्रों ने बताया कि बस स्टैंड के अरबों की जमीन का फर्जी जमाबंदी तैयार कराने से लेकर रसीद के काटने तक में शामिल राजस्व कर्मचारी बर्खाश्त करने की तैयारी है. वहीं सीआइ व सीओ को निलंबित कर उनपर भी प्राथमिकी दर्ज हो सकती है. भू-माफियाओं पर भी कांड दर्ज करने की तैयारी है. उधर, कार्रवाई में लेट होते देख लोगों में असंतोष का भाव बना हुआ था. इस बीच डीएम की ओर से शुरू किये गये कार्रवाई से लोगों का भरोसा वरीय अधिकारियों के प्रति बढ़ा है. अरबों की सरकारी जमीन की फर्जी जमाबंदी में राजस्व व भूमि सुधार मंत्री गंभीर बस स्टैंड की जमीन को अपने नाम करा कर उसका जमाबंदी कराने का खुलासा होने के बाद शुक्रवार को भाजपा के प्रदेश महामंत्री व पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी ने भूमि सुधार व राजस्व मंत्री डॉ दिलीप कुमार जायसवाल को पूरे प्रकरण की जानकारी दी. मिथिलेश तिवारी के द्वारा पूरे साक्ष्य के साथ सीओ, कर्मचारी, सीआइ की संलिप्तता व भू-माफियाओं की सेटिंग का साक्ष्य भी दिया. मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेकर जिला प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है. मंत्री के द्वारा इस मामले में कड़ा एक्शन लेने का निर्देश भी दिया गया है. मिथिलेश तिवारी ने बताया कि दोषी चाहे जो भी होंगे, इस सरकार में बख्शे नहीं जायेंगे. फर्जीवाड़े में अधिकारियों व कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आ चुकी है. मंत्री से अंचल पदाधिकारी के पूरे कार्यकाल की जांच कराने की मांग भी की गयी है. नप की ओर से सीओ की रिपोर्ट पर जतायी गयी थी आपत्ति जमाबंदी को फर्जीवाड़ा प्रकरण के जांच कर रहे अधिकारियों के सामने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे ने बताया कि सीओ की ओर से अपने पत्रांक 2488 दिनांक 06 अगस्त से अपनी रिपोर्ट नगर परिषद को सौंपी गयी. जांच में सीओ ने राजेंद्र नगर बस स्टैंड की भूमि खतियान एवं पंजी-2 के आधार पर जमाबंदी दाखिल-खारिज केस नं0-360/1980-81 के द्वारा पुरानी जमाबंदी नं0-192 एवं 195 से घटाकर कायम किये जाने की बात कही और कुछ लोगों के नाम पर जमाबंदी होने की रिपोर्ट दी थी. इस रिपोर्ट के बाद नगर परिषद के ओर से उनको व्हाट्सएप व मौखिक रूप से आपत्ति जताते हुए उसे सुधारने का आग्रह किया गया था. नप के आग्रह के बाद भी सीओ के द्वारा नहीं सुना गया. 28 दिनाें के बाद सीओ के स्तर पर रसीद कटवा दी गयी. वहीं नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी, स्थायी समिति की गायत्री देवी समेत पार्षदों की ओर से डीएम से मिलकर बस स्टैंड के जमीन को फर्जी जमाबंदी कराने के मामले में कार्रवाई की अपील की गयी. सदर अंचल के रजिस्टर-2 के अभिलेख में छेड़-छाड कर अलग से फर्जी पन्ना रख कर उपरोक्त रैयतियों के नाम से जमाबंदी कायम दिखाया गया है. अंचलाधिकारी, राजस्वकर्मी एव अन्य कार्यालय कर्मियों की मिलीभगत से रजिस्टर-2 में फर्जी कागजात को रखकर जमाबंदी भू-माफियाओं के नाम से जानबूझ कर किसी विशेष प्रयोजन के उद्देश्य से किया गया. इस षड्यंत्र में शामिल दोषी व्यक्तियों तथा तथाकथित जमाबंदीदारों पर विधि सम्मत कानूनी कार्रवाई करने मांग की. मालूम हो कि कुचायकोट थाना क्षेत्र के सासामुसा गांव के स्व चंद्रमा दुबे के पुत्र अजय दुबे के नाम पर 1980 में जमीन खरीदगी दिखा कर वर्ष 1980-81 से जमाबंदी की रजिस्टर- टू में अलग से एक पन्ना में लिख कर जोड़ दिया गया. अजय दुबे के जन्मतिथि उसके वोटर आइडी कार्ड व आधार में एक जनवरी 1980 दर्ज है. जब उसका जन्म ही 1980 में हुआ तो उसके नाम पर जमीन की रजिस्ट्री कैसे हो गयी. वर्ष 2024 तक जमीन की रसीद नहीं कट रही थी. दो सितंबर 2024 की सुबह 10:44 बजे सीओ गुलाम सरवर के द्वारा स्वीकृति देने के बाद तीन सितंबर को बजाप्ता रेंट रसीद भी शाम 3.04 बजे 1900 रुपये की काट दी गयी.
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