गोपालगंज. चौंकिए मत! किराये के कमरे में ”बीमार” पशुपालन विभाग को खुद के ”इलाज” की जरूरत है. जी हां, बात सच है. मिंज स्टेडियम रोड में किराये के मकान में पशुपालन विभाग कार्यरत है. यहां जिला पशुपालन पदाधिकारी व अवर प्रमंडल पशुपालन पदाधिकारी का दफ्तर है. प्रभात खबर की टीम पहुंची, तो अवर प्रमंडल पशुपालन पदाधिकारी की कुर्सी खाली थी. चैंबर बंद था, जो प्यून द्वारा खोला गया. जबकि, जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ अशोक कुमार सिंह अपने चैंबर में बैठकर सीएम के कार्यक्रम की तैयारी में जुटे थे. कार्यालय में जैसे-तैसे फाइलें बिखरी हुई थीं. कमरे भी जर्जर हालत में पहुंच चुके हैं. पशुपालन विभाग में जहां नजर जायेगा, वहां तक की हालत खराब ही दिखेगी. वैसे तो ऑफिस में तीन क्लर्क, दो प्यून, एक नाइट गार्ड तैनात हैं. चालक के अभाव में जरूरी काम भी प्रभावित हो जाता है. पशुपालन पदाधिकारी भी कार्यालय की स्थिति से लाचार दिखे. हालांकि पशुपालन विभाग के कार्यालय को बनाने के लिए आंबेडकर भवन के पास पशु अस्पताल में अपनी जमीन में बनाने के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था. अभी तक ठोस निर्णय नहीं हो सका. विभाग को सरकार से मिलने वाली संजीवनी का इंतजार है, जिससे पशुपालन विभाग अपने उद्देश्यों पर खरा उतर सके. बाजार की महंगी दवा पर निर्भर हैं पशुपालक : पशुओं के नि:शुल्क उपचार व दवाइयों के लिए जिले में 26 सरकारी पशु चिकित्सालय हैं, जहां पशुओं को इलाज के साथ दवाएं फ्री में उपलब्ध कराने का दावा विभाग कर रहा है. जबकि, हकीकत कुछ और ही बयां कर रहा है. अस्पतालों में दवाओं की कमी से पशुपालकों को बीमार पशुओं के इलाज के लिए परेशान होना पड़ रहा है. मजबूरी में बाजार में मेडिकल स्टोर से महंगी दवा लेकर पशुओं का इलाज करना पड़ रहा है. दरअसल पशुओं के इलाज में 138 किस्म की दवाओं की जरूरत होती है. बदले में विभाग के अस्पतालों में 29 प्रकार की दवाओं के होने का दावा किया जा रहा. सर्दियों में अधिकांश पशु निमोनिया से पीड़ित : इस वर्ष सर्दी का सीजन लंबा चला है. अधिकांश गाय, भैंस निमोनिया से ग्रसित हैं. सर्दी में बुखार, पशुओं के पेट में कीड़े आदि की समस्याएं चल रही हैं. बीमार पशुओं का इलाज कराना विभाग के लिए बड़ी चुनौती है. बीमार पशुओं को झोलाछाप से करा रहे इलाज : प्राइवेट पशु डॉक्टर अपनी बाइक में डिब्बा लगाकर बैग में दवाइएं भरकर गांव में घूम-घूम कर इलाज कर रहे हैं. वे पशुपालकों से मनमर्जी पैसे वसूल रहे हैं. इधर, मजबूरी में दवाएं नहीं मिलने से कई पशुपालक बीमार पशुओं को झोलाछाप से इलाज करवा रहे हैं. 24 घंटे इलाज की सुविधा, टोल फ्री नंबर 1962 जारी : पशु चिकित्सालय में 24 घंटे बीमार पशुओं का इलाज किया जाता है. सुबह 8:30 बजे से 2:30 बजे तक और दूसरी ओपीडी 2:30 से 8:00 बजे तक चलता है. यहां 29 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. साथ ही बिहार सरकार व प्रधानमंत्री के माध्यम से जिले में कुल 14 एंबुलेंस उपलब्ध हैं, जिसका टोल फ्री नंबर 1962 है. ये सेवा शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में दी जाती है.
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