Gopalganj News : हर घर दस्तक देंगी आशा, कालाजार के रोगियों की होगी खोज
Gopalganj News : जिले में कालाजार मरीजों की खोज के लिए अभियान चलाया जायेगा. अभियान के तहत आशा घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की खोज करेंगी.
गोपालगंज. जिले में कालाजार मरीजों की खोज के लिए अभियान चलाया जायेगा. अभियान के तहत आशा घर-घर जाकर कालाजार मरीजों की खोज करेंगी. स्वास्थ्य विभाग के निर्देशानुसार कालाजार उन्मूलन के लिए वर्ष में चार चक्र में घर-घर कालाजार के संभावित रोगों की खोज करने का प्रावधान है. इसके तहत जिले में यह अभियान 20 से 30 नवंबर तक संचालित किया जायेगी. आशा के द्वारा घर-घर जाकर कालाजार रोगियों की खोज की जायेगी. अभियान वर्ष 2020, 21, 22 एवं 23 एवं सितंबर 2024 में कालाजार प्रभावित प्रखंडों में प्रतिवेदित कालाजार मरीजों के घर के 500 मीटर की परिधि में (200 से 250 घर ) अवस्थित घर-घर जाकर वीएल /एचआइवी, पीकेडीएल रोगी की खोज जायेगी. क्षेत्र में अभियान की सफलता को लेकर प्रचार-प्रसार किया जायेगा. जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ सुषमा शरण ने बताया कि हर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर कालाजार जांच की सुविधा उपलब्ध है. कालाजार का किट (आरके-39) से 10 से 15 मिनट के अंदर टेस्ट हो जाता है. हर सेंटर पर कालाजार के इलाज में विशेष रूप से प्रशिक्षित एमबीबीएस डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी उपलब्ध हैं. सिविल सर्जन डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि कालाजार से पीड़ित रोगी को मुख्यमंत्री कालाजार राहत योजना के तहत श्रम क्षतिपूर्ति के रूप में पैसे भी दिये जाते हैं. बीमार व्यक्ति को 6600 रुपये राज्य सरकार की ओर से और 500 रुपये केंद्र सरकार की ओर से दिये जाते हैं. यह राशि वीएल (ब्लड रिलेटेड) कालाजार में रोगी को प्रदान किया जाता है. वहीं चमड़ी से जुड़े कालाजार (पीकेडीएल) में 4000 रुपये की राशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है. कालाजार के कारण कालाजार मादा फाइबोटोमस अर्जेंटिपस (बालू मक्खी) के काटने के कारण होता है, जो कि लीशमैनिया परजीवी का वेक्टर (या ट्रांसमीटर) है. किसी जानवर या मनुष्य को काट कर हटने के बाद भी अगर वह उस जानवर या मानव के खून से युक्त है, तो अगला व्यक्ति, जिसे वह काटेगा वह संक्रमित हो जायेगा. इस प्रारंभिक संक्रमण के बाद के महीनों में यह बीमारी और अधिक गंभीर रूप ले सकती है, जिसे आंत में लिशमानियासिस या कालाजार कहा जाता है.
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