गोपालगंज. शहर में 14 नवंबर को हुए भितभेरवा वार्ड नं एक के वृक्षा बाबा के पास के रहने वाले युवा प्रखर दुबे हत्याकांड में पुलिस दिल्ली में छापेमारी कर खाली हाथ लौट रही है. कांड में शामिल अपराधियों का ठोस सुराग पुलिस के पास नहीं है. उधर, सोशल मीडिया में हत्या के बाद आये कुछ पोस्ट ने पुलिस व खुफिया एजेंसियों की बेचैनी को बढ़ा दिया है. सूत्रों के अनुसार शहर में टेंडर एज के किशोर व युवाओं के दो रैकेट अपराध की ओर बढ़ रहे हैं. आर्यन ग्रुप व रॉयल्स ग्रुप में दर्जनों की संख्या में मनबढ़ू युवक व किशोर शामिल हैं. दोनों गैंग शहर पर अपराध का वर्चस्व कायम कर खुद को डॉन बनने में जुटा है. दोनों ग्रुप खुद को लॉरेंस विश्नोई की तरह शहर पर अपना सिक्का जमाने में जुटे हैं. पहले भी ये ग्रुप वर्चस्व के खातिर कई लोगों की हत्या कर चुके हैं. स्कूल व कॉलेजों में भी इनका नेटवर्क बना हुआ है. ऐसे में प्रखर दुबे की हत्या के पीछे किसी एक ग्रुप को अंदेशा था कि प्रखर पुलिस को उसके ग्रुप की मुखबिरी कर रहा है. ऐसे में उसकी हत्या कर दी गयी. इस हत्या के बाद जो इनपुट पुलिस के सामने आये हैं, वह चौंकाने वाले हैं. पुलिस सोशल मीडिया को खंगाल कर एक-एक सदस्य की कुंडली को बनाने में जुटी है. चार लोगों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए चुनौती पुलिस सूत्रों ने बताया कि गुरुवार की शाम 5:15 बजे प्रखर दुबे अपने दरवाजे पर था. उसी दौरान उसको दौड़ा- दौड़ा कर गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. प्रखर दुबे हत्याकांड में नगर थाने में मृतक के पिता नित्यानंद दुबे की तहरीर पर कांड दर्ज की गयी है. दर्ज कांड में मीरगंज थाने के हरखौली गांव के रहने वाले कुख्यात परमेंद्र यादव, नगर थाना क्षेत्र के कोन्हवां गांव के दिनेश यादव के पुत्र अंकित यादव, कुचायकोट थाना के हितपट्टी गांव के अमरेंद्र सिंह के पुत्र रोहित सिंह तथा बलथरी गांव के अशोक शाही के पुत्र निरंजन शाही को नामजद किया गया है. नगर थानाध्यक्ष ओमप्रकाश चौहान ने बताया कि फिलहाल दोनों ग्रुप के सक्रिय सदस्यों पर पुलिस की नजर है. दोनों ग्रुप के सदस्य भूमिगत हैं. एक-एक की तलाश की जा रही है. प्रखर दुबे की हत्या के पीछे भी मजबूत आपराधिक नेटवर्क सामने आये हैं. पुलिस इस कांड के खुलासे में खुफिया इनपुट को भी आधार बनाकर काम कर रही है.
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