gopalganj news : दी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की नीलामी की अरबों की जमीन पर कर्जदारों का कब्जा
gopalganj news : दी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्ज चुकता नहीं करने पर नीलाम कर अधिग्रहित कर लिया गया. अरबों की जमीन भले ही बैंक के नाम पर है, पर आज भी जमीन पर कर्जदारों का ही कब्जा है. शहर के हरखुआ से लेकर कटेया व बैकुंठपुर के गांवों में भी बैंक के नाम की जमीन कर्जदारों के ही कब्जे में है.
गोपालगंज. दी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के कर्ज चुकता नहीं करने पर नीलाम कर अधिग्रहित कर लिया गया. अरबों की जमीन भले ही बैंक के नाम पर है, पर आज भी जमीन पर कर्जदारों का ही कब्जा है. शहर के हरखुआ से लेकर कटेया व बैकुंठपुर के गांवों में भी बैंक के नाम की जमीन कर्जदारों के ही कब्जे में है. प्रभात खबर जब बस स्टैंड की जमीन में फ्रॉड की खबर को उजागर किया, तो दी सेंट्रल बैंक अपने जमीन की तलाश में जुटा. बैंक के पास कागजात के आधार पर अब एक्शन शुरू हो गया है. बैंक के अध्यक्ष महेश राय, प्रबंध निदेशक पूनम कुमारी गंभीरता से बैंक के रेकॉर्ड को खंगालाने में जुटे हैं. बैंक के पूर्व मंत्री व्यास प्रसाद सिंह के कार्यकाल में जमीन की नीलामी कर उसे अधिग्रहित कर बजाप्ता गजट कराया गया. तब के अखबारों में भी छपवाया गया था. उसके बाद बैंक के तत्कालीन अधिकारियों को मैनेज कर कर्जदारों द्वारा जमीन पर खेती की जाती रही, जिसमें अकेले हरखुआ में ही 12 बीघे तक जमीन है, जिसकी कीमत आज सबसे कम एक कट्ठा की कीमत 25 लाख रुपये है. इससे आप अंदाजा लगा लीजिए कि नीलाम की यह जमीन अरबों की है. कैसे सेटिंग कर जमीन पर कायम रहा कब्जा : बैंक सूत्रों की माने, तो दी सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक से कर्ज लेने के लिए जमीन को मोर्गेज किया गया. कर्ज चुकता नहीं करने पर बैंक की ओर से जमीन को अधिग्रहित कर लिया गया. कर्जदारों को 13 सितंबर, 1979 तक अपना दावा पेश करने का मौका तक दिया गया. उसके बाद बैंक की ओर से जमीन को अधिग्रहित कर लिया गया. कर्जदारों ने बैंक के अधिकारियों के साथ सेटिंग कर जमीन पर अपना कब्जा कायम रखा. बैंक रेकॉर्ड को लेकर संतोष करता रहा. अब जब जमीन के सर्वे शुरू हुआ, तो सीओ के रजिस्टर -2 में बैंक के नाम से जमीन दर्ज है. अब बैंक अपनी जमीन को कब्जाने की तैयारी में है. नीलामी की जमीनों को भी समझ लीजिये : कटेया के गहनी, डुमरिया, मांझा के कोल्हुआ श्रीराम, उचकागांव के छोटका साखे में चार बीघे से अधिक, फुलवरिया के दूबे बतरहा में सात बीघे, गिदहा, पेनुला खास, बड़कागांव, सदर प्रखंड के मठिया में दो बीघे से अधिक, हरखुआ में 11 बीघे से अधिक, बैकुंठपुर के शंकरपुर में पांच बीघे से अधिक जमीन बैंक के नाम से नीलाम है. फ्रॉड कर बेच दी गयी नीलामी की जमीन : जानकार बताते हैं कि हरखुआ व बैकुंठपुर, कटेया की कई जमीन को फ्रॉड कर कर्जदारों ने बेच भी दिया. सीओ के स्तर पर उसकी जमाबंदी भी बगैर बैंक को जानकारी दिये कायम कर दी गयी है. बैंक अब अपने सभी नीलामी की जमीनों को कानूनी तरीके से लेने की तैयारी में ंजुटा है. सभी सीओ को इस संबंध में बैंक की ओर से आपत्ति जता दी गयी है. बैंक का ऑफर, मार्केट रेट जमा कर ले सकते हैं जमीन : बैंक के अध्यक्ष महेश राय ने बताया कि नीलामी की जमीन बैंक की संपत्ति है. अबतक जो किसान के पास है, वे अगर चाहें तो बैंक के वर्तमान मार्केट रेट के हिसाब से राशि बैंक को जमा कर जमीन को अपने नाम ले सकते हैं. नहीं लेने वालों से जमीन को खाली करा कर उसे बैंक अपने हिसाब से डाक कर नीलाम करेगी.
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