Gopalganj News : आंख अस्पताल में नहीं हो रहा मोतियाबिंद का ऑपरेशन, एक्सपायर होने के कगार पर हैं करोड़ों रुपये की दवाएं

Gopalganj News : सरकार ने स्वास्थ्य विभाग पर अरबों का बजट खर्च किया है. पटना में पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा और अत्याधुनिक आंखों का अस्पताल बन रहा है, लेकिन गोपालगंज के मॉडल सदर अस्पताल में बना आंख अस्पताल धूल फांक रहा है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 13, 2024 10:11 PM

गोपालगंज. सरकार ने स्वास्थ्य विभाग पर अरबों का बजट खर्च किया है. पटना में पूर्वोत्तर भारत का सबसे बड़ा और अत्याधुनिक आंखों का अस्पताल बन रहा है, लेकिन गोपालगंज के मॉडल सदर अस्पताल में बना आंख अस्पताल धूल फांक रहा है. यहां मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं हो रहा है. लिहाजा करोड़ों की दवाएं एक्सपायर होने के कगार पर है. बीते नवंबर महीने में महज दो मरीजों का ऑपरेशन हो सका है. ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था और सिस्टम पर सवाल उठने लगा है. हालांकि सिविल सर्जन डॉ बीरेंद्र प्रसाद ने इसे गंभीरता से लिया और नेत्र रोग विभाग में कार्यरत सभी डॉक्टर व कर्मियों के वेतन निकासी पर रोक लगा दी है.

स्वास्थ्य मंत्री ने किया था

उद्घाटन

स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने इस अस्पताल का उद्घाटन किया था, लेकिन बनने के बाद से यहां अब तक मरीजों का ऑपरेशन करने के लिए कभी कैंप नहीं लगा. ऐसा नहीं है कि यहां नेत्र रोग विशेषज्ञ चिकित्सक और कर्मी नहीं है. दो डॉक्टर और कर्मियों के साथ ही मोतियाबिंद के मरीज भी हैं, लेकिन इलाज और ऑपरेशन सरकारी अस्पताल में करने से डॉक्टर कतरा रहे हैं. उन्हीं मरीजों को निजी क्लिनिक में लाकर ऑपरेशन किया जा रहा है, जहां मरीजों को मोटा शुल्क देना पड़ता है.

क्या है मोतियाबिंद : मोतियाबिंद कई प्रकार के होते हैं. सबसे ज्यादा वृद्धावस्था का मोतियाबिंद है, जो 50 से अधिक आयु वालों में विकसित होता है. इसका कारण आनुवांशिकी, बुढ़ापा, या चोट शामिल है. इसमें समय के साथ दृष्टि में क्रमिक गिरावट आने लगती है. रात में रंग मलिन दिखाई दे सकते हैं या दृष्टि कमजोर हो सकती है. धूप या तेज रोशनी में दृष्टि चमक और चुभन से प्रभावित होती है.

क्या होना चाहिए

मोतियाबिंद के ऑपरेशन के लिए हर सप्ताह विशेष कैंप का आयोजन होना चाहिए, ताकि गरीब और असहाय लोगों को मोतियाबिंद ऑपरेशन का नि:शुल्क लाभ मिल सके. सदर अस्पताल में विशेषज्ञ चिकित्सकों का हर महीने ऑपरेशन का टारगेट होना चाहिए, ताकि सभी डॉक्टर सामान्य रूप से ऑपरेशन कर सकें. प्रचार-प्रसार के लिए सभी सरकारी अस्पतालाें और प्रखंड कार्यालयों में जागरूकता अभियान चलाया जाये.

होगी विभागीय कार्रवाई : सीएस

सिविल सर्जन डॉ बीरेंद्र प्रसाद ने कहा कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन नहीं होना चिंता की बात है. यहां के विशेषज्ञ दो डॉक्टरों के साथ नेत्र रोग विभाग के सभी कर्मियों का वेतन रोका गया है और विभागीय कार्रवाई करने के लिए अनुशंसा हो रही है. मोतियाबिंद ऑपरेशन के लिए उपकरण और दवाएं पर्याप्त मात्रा में हैं. इलाज नहीं होने से एक्सपायर हो सकते हैं. अस्पताल में मरीजों के इलाज में किसी तरह की कोताही या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी.

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