Gopalganj News : महाकुंभ से महिलाओं के शवों के पहुंचते ही मचा कोहराम, हर तरफ गम का माहौल

Gopalganj News : प्रयागराज में महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के दिन मची भगदड़ में गोपालगंज जिले के चार महिला श्रद्धालुओं की मौत हो गयी. अब भी कई लोग लापता हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | January 30, 2025 9:54 PM

गोपालगंज. प्रयागराज में महाकुंभ में मौनी अमावस्या के स्नान के दिन मची भगदड़ में गोपालगंज जिले के चार महिला श्रद्धालुओं की मौत हो गयी. अब भी कई लोग लापता हैं. इनमें तीन महिलाओं के शव गुरुवार को उनके गांवों में पहुंचे. शव के पहुंचते ही गांव में कोहराम मच गया. गांव में शव आने के साथ ही लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा. आंखों से आंसू और दिल में गम का माहौल बना रहा.

बीडीओ और सीओ ने की मुलाकात

भोरे के राम नगर में सरस्वती देवी व तारा देवी के शव पहुंचे, तो परिजनों के रोने-चिल्लाने से पूरा माहौल गमगीन हो गया. रामनगर गांव में भारी भीड़ उमड़ पड़ी थी, तो वहीं दूसरी तरफ भोरे के बीडीओ और सीओ ने रामनगर पहुंचकर मृतक के परिजनों से मुलाकात की और आवश्यक कागजी कार्रवाई पूरी की. बरौली के माड़नपुर गांव के स्व. तारकेश्वर सिंह की 65 वर्षीय पत्नी शिवकली देवी का शव पहुंचा, तो परिजनों में चीत्कार मचा रहा. वहीं उचकागांव के बलेसरा गांव में स्व बच्चा दुबे की पत्नी कांति देवी के शव के आने का इंतजार हो रहा था.

परिजनों के सकुशल होने की खबर पर मिली राहत

विजयीपुर के जगदीशपुर से धर्मेंद्र की पत्नी मुन्नी देवी रामेश्वर प्रसाद की पत्नी राजकुमारी देवी के अलावा उसी गांव की शोभावती देवी और रीमा देवी के लापता होने की खबर थी. गुरुवार को परिजनों से उनका संपर्क हुआ, तो उनको राहत मिली. वहीं, अब भी सेमरा की मीना देवी व नगर थाना के अमवा नकछेद की राजगेंदी देवी लापता हैं. उनके घरों में कोहराम मचा है.

महाकुंभ में भगदड़ की शिकार हुईं महिलाओं के शव पहुंचे भोरे

भोरे. भोरे प्रखंड के रामनगर गांव से 35 लोग प्रयागराज में मौनी अमावस्या पर स्नान करने गये थे. इसमें रामनगर निवासी स्व. भुटेली साह की पत्नी सरस्वती देवी अपने पोते दीपू कुमार के साथ और तारा देवी अपने पति धुरेंद्र साह और बेटे धनंजय गोंड के साथ गयी थीं. सभी लोग रामनगर मठ के महंत हेमकांत शरण देवाचार्य के द्वारा लगायी गयी शरणस्थली में रुके हुए थे. मौनी अमावस्या के दिन एक साथ सभी लोग संगम नोज पर जाने के लिए निकले. इसी दौरान रास्ते में ही भगदड़ मच गयी. इसमें सभी लोग एक-दूसरे से बिछड़ गये. भगदड़ शांत होने के बाद दीपू कुमार और धनंजय को तारा देवी तथा सरस्वती देवी के शव मिले. वहीं दूसरी ओर प्रयागराज में हुए हादसे में भोरे के रामनगर की दोनों महिलाओं के शवों को यूपी सरकार ने पुलिस की निगरानी में गुरुवार भिजवाया.

गांव में एंबुलेंस पहुंचते ही मातम में डूबा परिवार, लगी भीड़

भोरे थाना से लेकर जैसे ही दोनों शवों को लेकर एंबुलेंस रामनगर पहुंचा कि पूरा परिवार चीत्कार में डूब गया. परिवार के लोगों के चीखने चिल्लाने से पूरा गांव रो पड़ा. सबसे पहले एंबुलेंस से सरस्वती देवी का शव निकाल कर उनके दरवाजे पर रखा गया. जहां परिवार के लोगों ने उनके अंतिम दर्शन किये. शव पर चोट के निशान थे. देखने से ऐसा लग रहा था कि उनके शरीर से के ऊपर से लोगों की भारी भीड़ गुजरी हो. अंतिम दर्शन के बाद शव का अंतिम संस्कार कराया गया.

तारा देवी की उनकी जन्म धरती शामपुर में हुई अंत्येष्टि

प्रयागराज में हुई घटना में मरी दूसरी महिला धुरेंद्र साह की पत्नी तारा देवी का अंतिम संस्कार रामनगर में नहीं किया गया. उनका असली घर उचकागांव प्रखंड के शामपुर में है, यहां उन्हें कुछ जमीन गिफ्ट मिली थी. उस पर मकान बनाकर परिवार के साथ रह रही थी. लेकिन उनकी अंतिम यात्रा शामपुर से निकाली गयी. एंबुलेंस को रामनगर से श्यामपुर भेजा गया, जहां परिवार के लोगों ने तारा देवी का अंतिम संस्कार किया .

लोग चीखते रहे लेकिन नहीं रुका जनसैलाब

भोरे. मौनी अमावस्या की रात का वह दृश्य धीरेंद्र शाह और दीपू कुमार की आंखों से ओझल नहीं हो रहा. एक तरफ अपनों के खोने का गम, तो दूसरी तरफ चीत्कार करते लोग. जब-जब इसकी याद उन्हें आती है, तो उनकी आंखें भर जा रही हैं. इस हादसे के शिकार हुए धुरेंद्र साह ने अपनी पत्नी को खो दिया, अपनी पड़ोसन सरस्वती देवी को खो दिया.

भीड़ के चलते छूटा हाथ

वह बताते हैं कि पीपा पुल को जब वे लोग पार कर रहे थे, तो अचानक इतनी ज्यादा भीड़ हो गयी कि प्रशासन को रस्सी तानकर सभी को रोकना पड़ा. लेकिन पीछे से आ रहा सैलाब नहीं रुका और पीछे के लोग धक्का देते गये, जिससे नतीजा हुआ कि भगदड़ मची. भगदड़ मचने के दौरान उनके हाथ से सरस्वती देवी और तारा देवी के हाथ छूट गये. भीड़ उन्हें धकेलते हुए पीपा पुल के किनारे पर गिरा दी. साथ में जो 30- 35 लोग चल रहे थे. कोई कहीं गिर गया, तो कोई कहीं गिरा. कोई भीड़ का शिकार भी हो गया.

प्रशासन ने किसी तरह जगह को कराया खाली

20 मिनट के बाद जब भीड़ का रेला थमा, तो प्रशासन ने किसी तरह उस जगह को खाली करवाया. तब तक धुरेंद्र शाह और दीपू कुमार की दुनिया उजड़ चुकी थी. एक-दूसरे के ऊपर लोग पड़े थे. लाशों को हटाकर दोनों ने अपने-अपने परिजनों को ढूंढा, रोते-पीटते प्रशासन को इसकी जानकारी दी. प्रशासन ने शव को अस्पताल में भेज दिया. रामनगर के दो लोग जख्मी भी हुए थे. उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद छोड़ दिया गया है. लेकिन अभी तक रामनगर का एक भी व्यक्ति वापस नहीं लौटा है. सभी लोग सुरक्षित हैं. धुरेंद्र शाह कहते हैं कि उन्होंने मौत का ऐसा खौफनाक मंजर कभी देखा नहीं था. उनकी आंखों के सामने उनकी दुनिया उजड़ गयी और वह कुछ भी नहीं कर सके.

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