गोपालगंज. राजेंद्र नगर बस स्टैंड की जमीन को अपने नाम पर फर्जीवाड़ा कर जमाबंदी करा लेने की हाइलेवल जांच दूसरे दिन भी जारी रही. उधर, अब तक की जांच के बाद एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार ने अपनी रिपोर्ट डीएम को सौंप दी है. एसडीओ की जांच में अंचल कार्यालय की संलिप्तता सामने आयी है. जांच के दौरान साइट का सर्वर के फेल रहने की बात कही गयी. उसके बाद देर शाम को एसडीओ ने अपने कार्यालय में जांच की, तो स्पष्ट हो गया कि 1980 में जमीन की रजिस्ट्री होने की बात बता कर जमाबंदी को 1980-81 में रजिस्टर- टू के अभिलेख में फर्जी जमाबंदी का कागज जोड़वा दिया गया. उसके बाद वर्ष 2024 तक जमीन की रसीद नहीं कट रही थी. दो सितंबर 2024 की सुबह 10:44 बजे सीओ गुलाम सरवर के द्वारा स्वीकृति देने के बाद तीन सितंबर को बजाप्ता अजय दुबे के नाम पर रेंट रसीद भी शाम 3:04 बजे 1900 रुपये की काट दी गयी. एसडीओ ने अपनी जांच में अंचल कार्यालय की संलिप्तता बताते हुए फर्जीवाड़े में शामिल लोगों के खिलाफ तत्काल प्रभाव से प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुशंसा की है. जांच के दूसरे दिन अपर समाहर्ता आशीष कुमार सिन्हा के साथ एसडीओ के घंटों मंथन के बाद रजिस्टर-टू को भी सील कर लिया गया. एसडीओ की जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई डीएम के स्तर पर होनी है. राजेंद्र नगर बस अड्डे की जमीन को कुल छह लोगों के नाम पर फ्रॉड कर कराने की साजिश की गयी थी. इसमें भू-माफिया सफल नहीं हो पाये. बस स्टैंड को कब्जाने की थी प्लानिंग प्रशासन की ओर से हाइलेवल जांच शुरू होने के बाद जांच अधिकारियों के पास जो भी साक्ष्य मिले हैं, उससे स्पष्ट हो गया है कि पिछले दो- तीन माह में पूरी प्लानिंग के साथ बस स्टैंड की अरबों की संपत्ति को कब्जाने की प्लानिंग थी. सेटिंग के तहत अजय दुबे की ओर से नगर परिषद को 11 जुलाई को आवेदन देकर कहा गया कि उसके राजेंद्र नगर बस स्टैंड की जमीन पर कुछ लोगों के द्वारा अवैध कब्जा कर लिया गया है. उसके बाद नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे ने अपने पत्रांक 1852 से सीओ से जांच कर रिपोर्ट मांगी. सीओ ने छह अगस्त को अपने पत्रांक-2288 से अपनी रिपोर्ट नगर परिषद को सौंपते हुए अजय दुबे की जमीन पर अवैध कब्जा होने की रिपोर्ट कर दी. नगर परिषद ने सीओ की रिपोर्ट को गंभीरता से नहीं लिया. एक माह तक नगर परिषद के एक्शन का इंतजार करने के बाद दो सितंबर को सीओ ने रसीद काटने का आदेश दे दिया और तीन सितंबर को रसीद कट गयी. प्रभात खबर ने 10 सितंबर के अंक में राजेंद्र नगर बस अड्डे की जमीन की छह लोगों के नाम पर जमाबंदी करा लेने का खुलासा किया. उसके बाद नगर परिषद हरकत में आया. नगर परिषद के चेयरमैन हरेंद्र चौधरी के द्वारा वार्ड पार्षदों के साथ बैठक कर विरोध किया गया, तो नगर परिषद की ओर से सीओ की रिपोर्ट पर आपत्ति दर्ज कराते हुए एसडीओ को अपने पत्रांक 2255 से तत्कालीन डीएम के अनुमोदन पर दिनांक 20 अक्तूबर 1993 को विमर्श के बाद दिनांक 28 दिसंबर 1993 को कुल 13 निर्मित दुकानों की बंदोबस्ती उच्चतम डाकवक्ता को आवंटित किया गया. कई दशकों से नगर परिषद् द्वारा प्रत्येक वर्ष राजेंद्र बस स्टैंड की डाक की जाती है. उक्त भूमि पर नगर परिषद् का पुराना भवन भी अवस्थित है. इसका उपयोग नगर परिषद के सफाई वाहनों एवं अन्य उपकरणों को रखने के रूप में किया जाता है. वहां पर कई दशकों से नगर परिषद का दखल कब्जा है. आवंटित दुकानों से नियमित रूप से मासिक किराया भी प्राप्त होता है. सीओ का प्रतिवेदित करना कि बस स्टैंड परिसर में अवैध कब्जा किया गया है, सत्य से परे है तथा इससे प्रतीत होता है कि अंचल पदाधिकारी के कार्यालय की मिलीभगत एवं सोचे-समझे षड्यंत्र के तहत नगर परिषद् के बस स्टैंड की भूमि की तथाकथित जमाबंदी कायम की गयी है.
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