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Gopalganj News : गंडक नदी की लहरें शांत होने के बाद भी गांवों में तबाही झेल रही है 50 हजार की आबादी

Gopalganj News : नेपाल से आये सैलाब ने जिले के दियारा इलाके के लोगों की समृद्धि को बहा दिया है. गंडक नदी की लहरें भले ही शांत हो गयी हैं. तबाही दियारे के लोगों के चेहरों पर साफ झलक रही है.

गोपालगंज. नेपाल से आये सैलाब ने जिले के दियारा इलाके के लोगों की समृद्धि को बहा दिया है. गंडक नदी की लहरें भले ही शांत हो गयी हैं. तबाही दियारे के लोगों के चेहरों पर साफ झलक रही है. गंडक नदी अब खतरे के निशान से विशंभरपुर में 68 सेमी, तो पतहरा में 40 सेमी नीचे आ गयी है. वहीं टंडसपुर में नदी 30 सेमी ऊपर बह रही है. नदी के जल स्तर में भी लगातार कमी आ रही है. गुरुवार को गंडक नदी में डिस्चार्ज एक लाख क्यूसेक से नीचे आ गया. नदी व तटबंध के बीच में रहने वाले 58 गांवों में तबाही अभी बरकरार है. गांवों में भले ही पानी कम हो रहा है, लेकिन ग्रामीणों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. गांव में जाने वाली सड़कों पर पानी कम हो चुका है. इसके बाद भी बाइक व साइकिल से नहीं चल पा रहे हैं. वहीं नाव का परिचालन भी कठिनाई के बीच हो रहा. गांव में वहीं लोग हैं, जिनके सामने शहर में ठिकाना नहीं है. गांव में रहने वालों के सामने जिंदगी को पटरी पर लाने की जद्दोजहद है. नेपाल से आये सैलाब के कारण वाल्मीकिनगर बराज से रविवार की रात 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने पर गंडक नदी में बाढ़ आ गयी थी. जिले के लगभग पांच दर्जन गांव बाढ़ की चपेट में आ गये थे. अब निचले इलाके में फैला बाढ़ का पानी भी गांवों से उतरने लगा है. पानी के घटने के साथ ही गांवों में अभी तबाही का मंजर बरकरार है. पानी के घटने के साथ ही कटाव का खतरा भी गंभीर हो गया है. गांव में पानी से घिरने वाले लोगों तक प्रशासन का राहत कार्य नहीं पहुंच सका है. इसके कारण लोगों में आक्रोश दिख रहा है. प्रशासन द्वारा तटबंधों पर निगरानी लगातार की जा रही है. अपर समाहर्ता आपदा शादुल हसन, एसडीपीओ डॉ प्रदीप कुमार, जल संसाधन विभाग के अभियंता संजय कुमार, बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष नवल किशोर सिंह, कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार ने रामनगर, पतहारा, जगीरीटोला से लेकर बांसघाट मंसुरिया, बंगरा घाट तक निरीक्षण कर स्थिति का आकलन कर तटबंधों को सुरक्षित होने का दावा किया. घरों में चूड़ा-गुड़ खाकर पांच दिनों तक पानी घटने का इंतजार बैकुंठपुर के दियारा की रहने वाली सुनीता देवी अपने तीन बच्चों, बुजुर्ग सास व ससुर के साथ घर पर रहती है. पति राजेश गुरुग्राम में किसी कंपनी में मजदूरी करता है. गांव में सोमवार को पानी का सैलाब आया. घर के अनाज से लेकर कपड़ा व बिछावन तक बह गये हैं. सुनीता ने चूड़ा व गुड़ अपने परिवार को खिलाकर किसी तरह चार दिन काट लिया. अब पानी के घटने के बाद कीचड़ की सफाई करने की चुनौती है. गांव में सड़ांध से बदबू आ रही है. अकेले सुनीता का ही नहीं बल्कि जिले के 58 गांवाें में सबकी एक ही पीड़ा है. दवा की भी किल्लत झेल रहे है. घरों में लोग कैद होकर रह गये हैं. वहीं दूसरी ओर बाढ़ के कारण पशुओं के हरे चारे की किल्लत हो गयी है. पशुपालकों को हरे चारे के लिए दर दर भटकना पड़ रहा है. लेकिन हर तरफ पानी ही पानी नजर आता है. खेतों में पानी जमा होने के कारण हरा चारा नष्ट हो गया है. जब किसानों को मवेशी लेकर दूसरे जगह या अन्य गांवों में हरे चारे के लिए भटकना पड़ रहा है. कठघरवां गांव के पशुपालक शिव गोपाल सहनी, उमेश यादव, मेहंदिया गांव के दिनेश सिंह, वीरेंद्र सिंह, देवानंद सिंह ने बताया कि गंडक नदी के जल स्तर में बढ़ोतरी से मवेशी की चारे की समस्या हो गयी है. दुग्ध उत्पादन में भी कमी आने लगी है.

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