Gopalganj News : अंचलाधिकारी के रजिस्टर-टू के अभिलेख में मिला फ्रॉड, अलग से जोड़ा गया था बस स्टैंड की जमाबंदी का पन्ना

Gopalganj News : शहर के बीच में स्थित नगर परिषद के राजेंद्र बस अड्डे की अरबों की जमीन की जमाबंदी करा लेने की खबर उजागर होने के साथ ही जिला प्रशासन एक्शन मोड में आ गया है.

By Prabhat Khabar News Desk | September 10, 2024 10:09 PM

गोपालगंज. शहर के बीच में स्थित नगर परिषद के राजेंद्र बस अड्डे की अरबों की जमीन की जमाबंदी करा लेने की खबर उजागर होने के साथ ही जिला प्रशासन एक्शन मोड में आ गया है. डीएम मोहम्मद मकसूद आलम के आदेश पर एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार मंगलवार को अंचल कार्यालय पहुंचे. वहां नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे को पूरे अभिलेख के साथ बुलाया गया. अंचल पदाधिकारी गुलाम सरवर की मौजूदगी में राजस्व कर्मचारी दिनेश मिश्र, प्रधान सहायक सुबोध झा को बुलाया गया. नगर परिषद की ओर से बस स्टैंड की जमीन पर अपना कब्जा व उसके कागजात उपलब्ध कराये गये. जब एसडीओ जमाबंदी की जांच करने लगे, तो रजिस्टर- टू की जांच में फ्रॉड सामने आ गया. रजिस्टर टू का पूरा अभिलेख डॉट पेन से लिखा हुआ था. जब बस स्टैंड वाली जमीन की जमाबंदी का पन्ना मिला, तो वह फटा हुआ था. उस पन्ने का साइज छोटा था. उसे जेल पेन से दूसरी लिखावट में लिखकर उसमें जोड़ दिया गया था. जांच में सबके सामने स्पष्ट हो गया कि जमाबंदी को फर्जी तरीके से तैयार कर रसीद कटवा ली गयी है. अंचल कार्यालय में कोई भी जमाबंदी से संबंधित रेकॉर्ड नहीं मिला. अंचल की ओर से काटी गयी ऑनलाइन रसीद सर्वर के फेल रहने के कारण नहीं मिल सकी. एसडीओ की अब तक की जांच में पाया गया है कि जमाबंदी नहीं चल रही, बल्कि फ्रॉड कर रजिस्टर- टू में एक पन्ना जोड़ा गया मिला. सीओ व राजस्व कर्मचारी की भूमिका पर भी उठे सवाल एसडीओ की जांच के दौरान सीओ व राजस्व कर्मचारी जमाबंदी को बार-बार रद्द कराने की बात कहने लगे. इसपर एसडीओ ने कहा कि जब जमाबंदी हुई ही नहीं है, तो रद्द किस बात का करेंगे. रजिस्टर टू के ऑरिजनल पन्ना को फाड़ कर गायब कर दिया गया है. अब इस फ्रॉड में शामिल लोगों की पहचान कर सीधे उनपर एफआइआर करने का आदेश दिया गया. सीओ व राजस्व कर्मचारी की भूमिका पर भी जांच अधिकारियों ने सवाल उठाया. जब रजिस्टर का अभिलेख आपके कस्टडी में था, तो उसमें यह पन्ना कैसे जोड़ा गया. वहीं एसडीओ की तरफ से जमीन पर दावा करने वाले को भी अपना कागज पेश करने का माैका दिया गया. सीओ के द्वारा अजय दुबे को फोन कर बुलाया गया. उसके द्वारा कागजात लेकर आने की बात कही गयी. काफी देर तक इंतजार करने के बाद वह नहीं आया. जांच में फंसने के डर से दावेदार नहीं आये. सीओ गुलाम सरवर की ओर से नगर परिषद को दी गयी रिपोर्ट में भी झोल है. सीओ की ओर से दी गयी रिपोर्ट में बस स्टैंड के जमीन के कुछ अंश पर कुछ व्यक्तियों के द्वारा अवैध रूप से दखल-कब्जा बताया गया है. नगर परिषद की ओर से बनायी गयीं पक्की दुकानों को भी फूस बता दिया गया है. पलानी एवं गुमटी दर्शाया गया है. इसमें दर्जन भर लोगों का दखल कब्जा पाया गया, जिनके द्वारा दुकान बंद रखे जाने की बात कही गयी है. वहीं दुकानें खुली हुई हैं. वह 1984 से नियमित नगर परिषद को किराया भी दे रहे हैं. जांच अधिकारियों के समक्ष नगर पर्षद के रिटायर्ड प्रधान सहायक आनंद किशोर ओझा ने बताया कि पहले यह जमीन अधिसूचित क्षेत्र समिति गोपालगंज की थी, जिसमें मातृ शिशु सदन स्कूल, मैटरनिटी सेंटर भी था. 1956 से एनएससी में रही जमीन में 1979 में नगर पंचायत बनी. उसके बाद वहां नगर परिषद ने यहां बस अड्डा, 45 दुकानों को बनाकर कई लोगों के नाम पर आवंटन किया है. दुकानों से प्रतिमाह किराया वसूलता है. यात्री पड़ाव, यात्री निवास, नगर परिषद का लॉज, सुलभ शौचालय बना हुआ है. राजेंद्र नगर बस अड्डा का प्रत्येक साल नगर परिषद लगभग एक करोड़ की राशि से डाक करता है.

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