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Gopalganj News : निचले इलाके से उतरने लगा गंडक नदी का पानी, गांवाें में तबाही अब भी बरकरार

गंडक नदी का जल स्तर लगातार घट रहा है. नदी पिछले 24 घंटे में लगभग 53 सेमी नीचे आ गयी है. विशंभरपुर में खतरे के निशान से 21 सेमी नीचे आ गयी. वहीं टंडसपुर में अभी नदी 75 सेमी खतरे के निशान से ऊपर है.

गोपालगंज. गंडक नदी का जल स्तर लगातार घट रहा है. नदी पिछले 24 घंटे में लगभग 53 सेमी नीचे आ गयी है. विशंभरपुर में खतरे के निशान से 21 सेमी नीचे आ गयी. वहीं टंडसपुर में अभी नदी 75 सेमी खतरे के निशान से ऊपर है. रविवार को नेपाल के तराई इलाके में भारी बारिश के बाद वाल्मीकिनगर बराज से 5.62 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने पर गंडक नदी में बाढ़ आ गयी थी. 2017 के बाद इतना जल डिस्चार्ज को दर्ज किया गया. जिले के 58 गांव बाढ़ की चपेट में आ गये थे. अब निचले इलाके में फैला बाढ़ का पानी भी गांवों से उतरने लगा है. पानी के घटने के साथ ही गांवों में अभी तबाही का मंजर बरकरार है. पानी के घटने के साथ ही कटाव का खतरा भी गंभीर हो गया है. नदी का पानी घटने के साथ ही कटाव का खतरा है. कुछ इलाके में जगीरीटोला, कठघरवां, मेहंदिया में नदी खेतों को काटते हुए बह रही है. कटाव से गांव के लोगों में नाराजगी दिख रही है. उधर तटबंधों पर निगरानी लगातार किया जा रहा है. बुधवार को अपर समाहर्ता आपदा शादुल हसन, एसडीपीओ डॉ प्रदीप कुमार रामनगर, पतहारा, जगीरीटोला से लेकर बांसघाट मंसुरिया, बंगरा घाट तक निरीक्षण कर स्थिति का आकलन कर सरकार को रिपोर्ट देते रहे. इतना ही नहीं, जहां भी कोई कमी दिखी, तत्काल मुख्य अभियंता संजय कुमार, बाढ़ संघर्षात्मक बल के अध्यक्ष नवल किशोर सिंह, कार्यपालक अभियंता प्रमोद कुमार को सूचना देकर उसे दुरुस्त कराते दिखे. तटबंधों पर टंडसपुर में इंजीनियर बिक्रम, पतहरा में ऋषभ राज, विशंभरपुर में सहायक इंजीनियर एकता कुमारी की टीम मुस्तैद रही. गांवों में पानी के कम होने से गृहस्थी को खड़ा करने की चुनौती गंडक नदी का पानी अब गांवों से निकलने लगा है. पानी के घटने के बाद भी गांवों में तबाही कम नहीं हो रही. लोगों के घरों में पानी के घुसने के कारण लोगों के घरों के अनाज, कपड़ा, ओढ़ना-बिछावन नदी में बह चुका है. कुछ घरों में सड़ने लगा है. लोगों का चूल्हा-चाकी भी डूब गया है. लोग ऊंचे स्थल व छतों पर शरण ले रखे हैं. छतों पर कभी धूप, कभी छांव से हालात बिगड़ रहे हैं. चौथे दिन भी जिले के कुचायकोट प्रखंड के काला मटिहनियां, दुर्ग मटिहनियां, सलेहपुर, टोला सिपाया व धूपसागर, भगवानपुर, धर्मपुर, विशंभरपुर, सदर प्रखंड के कटघरवां, विशुनपुर पूर्वी, विशनुपुर पश्चिमी, बरइपट्टी, जादोपुर दु:खहरण, रामपुर टेंगराही व जगीरी टोला. मकसूदपुर, मलाही टोला, कटघरवा, रामनगर, खाप, कमल चौधरी का टोला, बरौली प्रखंड के सोनबरसा, मोहम्मदपुर पकड़िया, देवापुर, हसनपुर, रामपुर, सलेमपुर पूर्वी, सलेमपुर पश्चिमी, बतरदेह व सरफरा. सिधवलिया प्रखंड के अमरपुरा,बंजरियां, डुमरिया व काशी टेंगराही. बैकुंठपुर प्रखंड के परसौनी, बासघाट मंसुरिया, उसरी, गम्हारी, फैजुल्लाहपुर, प्यारेपुर, बखरी व बंगरा. समेत जिले के 58 गांवों में तबाही का आलम है. भूख-प्यास से लोग बिलबिला रहे हैं. उफनाती लहरें तो अब धीरे-धीरे शांत हो रही हैं, लेकिन तबाही का मंजर देखकर दिल दहल जाता है. नदी के उस पार को ताकती आंखें, दूर से अपने मिट चुके आशियाने की हालत जानने की बेचैनी और चेहरे पर मायूसी इस विभीषिका की कहानी कह रही थीं. दोपहर बारह बजे आसमान में चमकता सूरज, उमस वाली गर्मी. नदी की लहरें यह जता रही थीं कि अगर अब भी नहीं चेते तो आगे भी तबाही देखने को तैयार रहो. नारायणी के जलस्तर को जानने के लिए निमुइयां के राधेश्याम सहनी से मिले. राधेश्याम ने कहा कि हर साल बरसात में बाढ़ को झेलते हैं. हमें भी नदी के मिजाज का पता होता है.

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