गोपालगंज. ज्वार, बाजरा, मड़ुआ, सावा, कोदो, कुटकी आदि मोटे अनाजों के प्रति जिले के किसानों का रुझान बढ़ रहा है. पिछले कुछ वर्षों में जहां इन फसलों की खेती नगण्य होती जा रही थी. वहीं इस वर्ष कृषि विभाग की पहल पर मोटे अनाज की खेती का क्षेत्र 2810 एकड़ तक बढ़ गया है. विभाग की ओर से मोटे अनाजों की खेती को लेकर सभी 14 प्रखंडों में किसानों के 281 क्लस्टर बनाये गये हैं. इन क्लस्टर के किसान एक साथ मिलकर बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं. विभाग के अधिकारी भी इन फसलों की सतत निगरानी कर रहे हैं. बता दें कि पिछले दाे दशकों से जिले के सामान्य किसान इन मोटे अनाजों की खेती लगभग छोड़ चुके थे. कुछ किसान खरीफ के मौसम में इन अनाजों की खेती करते भी थे, तो फसल लगने से पहले पौधे को काटकर जानवरों के लिए चारा बना देते थे. कारण कि आम लोगों भी इन अनाजों का उपयोग काफी कर दिया था, जिससे डिमांड घटने लगी और मार्केट वैल्यू भी काफी कम हो गया. वहीं पौष्टिक तत्वों से भरपूर इन अनाजों पर कई तरह के रिसर्च के बाद सरकार ने चतुर्थ कृषि रोड मैप में मोटे अनाज पर फोकस किया. इसके बाद किसानों को भी इसकी खेती के लिए प्रेरित किया जा रहा है. खेती और बेहतर तरीके से हो, इसके लिए कुछ किसानों को प्रशिक्षण के लिए पटना भी भेजा जा रहा है. कम खाद-पानी और कम खर्च में होती है खेती मोटे अनाजाें की खेती में काफी कम खर्च आता है. धान की अपेक्षा इसमें कम मात्रा में खाद और पानी खर्च हाेता है. नियमित खाद और नियमित सिंचाई की आवश्यकता भी नहीं होती. जिले की मिट्टी भी इन अनाजों की खेती के लिए उपयुक्त है. यहां तक भी बीज भी विभाग मुफ्त में मुहैया कराता है. वहीं कृषि वैज्ञानिकों की मानें, तो मोटे अनाज पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं. सभी मोटे अनाजों में फाइबर प्रचुर मात्रा में मिलते हैं. ग्लूटेन फ्री होने के कारण सुपाच्य और ऊर्जा स्तर को बढ़ाते हैं. कई आवश्यक खनिज तत्व भी इसमें मौजूद होते हैं. डॉक्टर बताते हैं कि इन अनाजों के सेवन से पाचन तंत्र तो दुरुस्त रहता ही है. साथ ही आधुनिक समय में होने वाली कई बीमारियों से बचा जा सकता है.
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