gopalganj news : बस स्टैंड पहुंची अधिकारियों की टीम, जमीन की हाइलेबल जांच शुरू
gopalganj news : राजेंद्र नगर बस स्टैंड की जमीन की फर्जी जमाबंदी भू-माफियाओं के नाम किये जाने में प्रशासन की ओर से बड़ी कार्रवाई हो चुकी है. प्रशासन को चुनौती देने में लगे भू-माफिया अपने मिशन को बदल कर काम कर रहे. उधर, डीएम मो मकसूद आलम के आदेश पर अपर समाहर्ता आशीष कुमार सिन्हा, एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे, डीसीएलआर शनिवार को बस स्टैंड पहुंचे. बस स्टैंड की जमीन की हाइलेबल जांच शुरू हो गयी.
गोपालगंज. राजेंद्र नगर बस स्टैंड की जमीन की फर्जी जमाबंदी भू-माफियाओं के नाम किये जाने में प्रशासन की ओर से बड़ी कार्रवाई हो चुकी है. प्रशासन को चुनौती देने में लगे भू-माफिया अपने मिशन को बदल कर काम कर रहे. उधर, डीएम मो मकसूद आलम के आदेश पर अपर समाहर्ता आशीष कुमार सिन्हा, एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार, नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे, डीसीएलआर शनिवार को बस स्टैंड पहुंचे. बस स्टैंड की जमीन की हाइलेबल जांच शुरू हो गयी. जांच टीम में शामिल अधिकारियों ने बस स्टैंड को जांचा. इस दौरान अधिकारियों के सामने लोगों ने साक्ष्य भी दिये. नगर परिषद के पास महत्वपूर्ण साक्ष्य भी हाथ लगे हैं. नगरपालिका के वार्ड पार्षद व चेयरमैन तक 1977 से 2007 तक रहे चंद्रभूषण सिंह ने अधिकारियों के समक्ष बस स्टैंड का पूरा इतिहास ही रख दिया. 1956 से पूर्व यह जमीन यूनियन बोर्ड के अधीन थी. उसके बाद यूनियन बोर्ड ने इसे एनएससी को सौंप दिया. यहां मातृ शिशु सदन स्कूल व मैटरनिटी सेंटर काम कर रहा था. तब उषारानी पहली नर्स थीं. जबकि दाई के रूप में मूर्ति काम कर रही थीं. ललीता बोस भी सेंटर का संचालन कर रही थीं. जबकि 1984 में सांसद रहे नगीना राय की पहल पर बस स्टैंड बना. उसी समय से बस स्टैंड कायम है. मातृ शिशु सदन को भी बगल में शिफ्ट कराया गया. जांच करने पहुंचे अधिकारियों को कई महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले, जो काफी मायने रखते हैं. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे ने बताया कि नगर परिषद के पास पर्याप्त साक्ष्य उपलब्ध है. बिहार पथ परिवहन निगम को भी जमीन की थी आवंटित : बस स्टैंड की जमीन जिसे भू-माफियाओं द्वारा अपने नाम करा लिया गया था उस जमीन को नगर परिषद द्वारा बिहार पथ परिवहन निगम को भी 1500 रुपये महीने पर आवंटित किया गया था. इसमें 2.18 लाख रुपये का बकाया भी बिहार पथ परिवहन निगम से वसूली के लिए लिखा गया था. कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रेमनाथ राय शर्मा ने बताया कि पथ परिवहन निगम की बसें भी स्टैंड से गोरखपुर, पटना, मुजफ्फरपुर व टाटा के लिए चलती रहीं. अब अंचल के रेकॉर्ड में फ्राॅड कर भू-माफिया अपने नाम करने में सफल रहे हैं. जमाबंदी रद्द करने के लिए पक्ष रखने के लिए नोटिस तैयार : शनिवार को बस स्टैंड की फर्जी जमाबंदी को रद्द करने के लिए अपर समाहर्ता के कोर्ट से सभी संलिप्त लोगों के लिए नोटिस तैयार कर ली गयी है. जमीन पर दावा करने वालों को भी नोटिस भेजकर उनके पक्ष को कोर्ट सुनेगा. उनके साक्ष्य व नगर परिषद के साक्ष्यों को सुना जायेगा. आरोपित सीओ म गुलाम सरवर की ओर से जमाबंदी को रद्द करने की अनुशंसा की गयी थी. उसके बाद से जमाबंदी रद्द करने की प्रक्रिया भी जोर पकड़ चुकी है. ————————— भू माफिया ने अधिकारियों की सेटिंग पर करा लिया था बस स्टैंड अपने नाम : एसडीओ डॉ प्रदीप कुमार जब मामले की जांच शुरू की, तो स्पष्ट हुआ कि कुचायकोट थाना क्षेत्र के सासामुसा गांव के स्व चंद्रमा दुबे के पुत्र अजय दुबे ने अधिकारियों की सेटिंग से बस स्टैंड की जमीन को अपने नाम करा लिया था. जन्म लेने के साथ ही बस स्टैंड की अरबों की जमीन को अपने नाम से रजिस्ट्री करा दी थी. 1980 में जमीन खरीदगी दिखा कर वर्ष 1980-81 से जमाबंदी के रजिस्टर-टू में अलग से एक पन्ना में लिख कर जोड़ दिया गया था. अजय दुबे की जन्मतिथि उसके वोटर आइडी कार्ड व आधार में एक जनवरी 1980 दर्ज है. जब उसका जन्म ही 1980 में हुआ, तो उनके नाम पर जमीन की रजिस्ट्री कैसे हो गयी. वर्ष 2024 तक जमीन की रसीद नहीं कट रही थी. दो सितंबर, 2024 की सुबह 10:44 बजे सीओ गुलाम सरवर द्वारा स्वीकृति देने के बाद तीन सितंबर को वजाप्ता रेंट रसीद भी अपराह्न 3:04 बजे 1900 रुपये की काट दी गयी.
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