गोपालगंज. मांझा में सरकारी जमीन व गंडक नदी की जमीन में फर्जी जमाबंदी के खुलासा हो चुका है. इसी तरह शहर के बीच में स्थित नगर परिषद का राजेंद्र बस अड्डे की अरबों की जमीन को अपने नाम पर जमाबंदी करा कर बजाप्ता उसकी रेंट रसीद भी कटवा रहे हैं. भू-माफियाओं ने सदर अंचल से सेटिंग कर यह खेल किया है. मोटी रकम खर्च करने के बाद यह फ्रॉड किया गया है. अंचल के दाखिल-खारिज केस नं0-360/1980-81 से जमाबंदी कायम कराकर राजेंद्र नगर बस अड्डा का 85.9 कट्ठा जमीन पर अब भू-माफियाओं ने दावा भी ठोक दिया है. यह वही बस स्टैंड है, जहां से लोग पटना, मुजफ्फरपुर, गोरखपुर, मोतिहारी, बेतिया, थावे, सीवान, बनारस जैसे शहरों के लिए बस पकड़ते हैं. राजेंद्र नगर बस अड्डे का प्रत्येक साल नगर परिषद लगभग एक करोड़ की राशि से डाक करता है. नगर परिषद ने यहां 45 दुकानों को बनाकर कई लोगों के नाम पर आवंटन किया है. दुकानों से प्रतिमाह किराया वसूलता है. यात्री पड़ाव, नगर परिषद का लॉज, सुलभ शौचालय बना हुआ है. अब उसी जमीन की जमाबंदी कायम करा ली गयी है. स्टैंड के पास एक धुर जमीन की कीमत लगभग 20 लाख तक की है. वहां अरबों की सरकारी जमीन को अपने नाम करा ली गयी है. नगर परिषद ने सीओ से जांच करायी, तो सामने आये तथ्य कुचायकोट थाना क्षेत्र के सासामुसा के रहने वाले अजय दुबे ने नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुलधर दुबे को आवेदन देकर स्टैंड की जमीन पर अपना दावा ठोका. तब नप ने मामले की जांच सीओ से करायी. सीओ के स्तर से पूरे मामले की जांच कर अपने पत्रांक 2488 दिनांक 06 अगस्त से अपनी रिपोर्ट नगर परिषद को सौंप दी है. इसमें राजेंद्र नगर बस अड्डे की जमीन की जमाबंदी चलने की बात कही गयी है. सीओ ने नगर परिषद के पत्र के आलोक में अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए कहा कि आवेदन पत्र की जांच करायी गयी. जांच के क्रम में पाया गया है कि राजेंद्र नगर बस स्टैंड की भूमि खतियान एवं पंजी-2 के आधार पर जमाबंदी दाखिल-खारिज केस नं0-360/1980-81 के द्वारा पुरानी जमाबंदी नं0-192 एवं 195 से घटाकर कायम की गयी है. वहीं इस संबंध में डीएम मो मकसूद आलम ने कहा कि राजेंद्र नगर बस अड्डे की जमीन नगर परिषद की है. अगर किसी ने फ्रॉड कर जमाबंदी करा ली है, तो उसकी जमाबंदी को रद्द किया जायेगा. फ्रॉड में जो लोग शामिल होंगे, उनपर प्राथमिकी दर्ज करायी जायेगी. जमाबंदी कायम करने वाले कर्मचारी व सीओ की भूमिका की भी जांच कर कार्रवाई की जायेगी. सीओ ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कुछ भाग पर दर्जन भर व्यक्तियों के द्वारा अवैध रूप से दखल-कब्जा किया गया है. इसमें पलानी एवं गुमटी हैं. इनके द्वारा दुकानें बंद रखी गयी हैं. नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी राहुल धर दुबे से इस मुद्दे पर संपर्क करने पर उनके द्वारा बताया गया कि अजय दुबे नाम के एक व्यक्ति के द्वारा दिये गये आवेदन की जांच सीओ से करायी गयी. सामने आया कि जमाबंदी कायम होने की बात सामने आयी है. मामले की हाइलेवल जांच होगी. जमाबंदी जब 1980-81 में हुई, तो ये लोग कहां थे. तब से 44-45 वर्ष के बाद अब जमीन पर अपना दावा कर रहे. गलत करने वाले, जो भी होंगे, उनपर कार्रवाई होगी.
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