गोपालगंज. हथिया नक्षत्र में अगर पुरवा हवा चलने लगे, तो विदाई की बेला में माॅनसून सक्रिय हो उठता है. यह मौसम किसान और गृहस्थ के लिए बहुत ही बेहतर माना गया है, क्योंकि धान की फसल के लिए यह अमृत जैसा है. इस संबंध में कवि घाघ की कहावत आवत आदर न दियो जावत दियो न हस्त कहे घाघ दोनों गए पाहुन व गृहस्थ बहुत प्रचलित है. यही नहीं, कहा जाता है कि हथिया के पेट से ही जाड़ा निकलता है. जो बारिश होती है, इसी के बाद सर्द ऋतु की शुरुआत होती है. गुरुवार से शुरू हथिया की बारिश रविवार को राहत दी. सुबह से धूप- छांव का खेल चलता रहा. हथिया की बारिश से रात में एसी, कूलर बंद हो गये हैं. दिन में एक पंखा से काम चल जा रहा. बुखार, जुकाम और खांसी के मरीजों की संख्या बढ़ गयी है. शुक्रवार व शनिवार को पूरे दिन झमाझम बारिश होने से मौसम सुहाना हो गया. मौसम विभाग ने तीन दिनों में 206.2 एमएम बारिश दर्ज की. जबकि 24 घंटे में 4.2 डिग्री अधिकतम तापमान बढ़कर 31.7 डिग्री पर पहुंच गया. वहहीं रात का तापमान 2.9 डिग्री बढ़कर 26.6 डिग्री पर पहुंच गया. आर्द्रता 79% पर पहुंच गयी. पुरवा हवा 8.9 किमी के रफ्तार से चलती रही. इससे मौसम सुहाना बना रहा. मौसम विभाग ने अभी पांच दिनों तक आसमान में बादलों की आवाजाही के बीच कहीं- कहीं बारिश का भी अलर्ट जारी किया है. बारिश रबी की फसलों के लिए भी बहुत लाभदायक मौसम के सबसे बड़े वैज्ञानी रहे घाघ ने कहा था कि हथिया नक्षत्र में होने वाली बारिश का खास महत्व होता है. हथिया इस बारिश के बाद से मौसम में अचानक परिवर्तन शुरू होने लगता है और हल्के जाड़े की शुरुआत हो जाती है, इसी के साथ ही गरमी की विदाई भी हो जाती है. यह बारिश आगामी रबी की फसलों के लिए बहुत लाभदायक साबित होगी, क्योंकि खेत में इतनी नमी हो जाती है कि गेहूं की बोआई के समय सिंचाई की जरूरत नहीं पड़ती. आचार्य पं अमित तिवारी कहते हैं- 27 में से नौ नक्षत्रों को बारिश का नक्षत्र माना जाता है. इसमें हस्त यानी हथिया भी शामिल है. इसे बारिश को गरमी का अंत और जाड़े की शुरुआत के रूप में देखा जाता है. मौसम विज्ञानी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि सितंबर माह के अंतिम सप्ताह में पड़ने वाला नक्षत्र हथिया है. इस नक्षत्र में होने वाली बारिश फसलों के लिए अच्छा माना जाता है. करीब एक दशक बाद हथिया नक्षत्र का मूल स्वरूप देखने को मिला है. आसमान में काले बादल, गरज के साथ बारिश हुई. हाल के दिनों में हल्की बारिश में ही यह अवधि समाप्त हो जाती रही है.
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