गोपालगंज. नगर थाना क्षेत्र के छपिया गांव के 80 वर्ष के शरीफ आलम को सुबह सात बजे अचानक सांस लेने में तकलीफ होने लगी. परिजनों ने उनको सदर अस्पताल में भर्ती कराया. ऑक्सीजन देकर इलाज शुरू हुआ. उसी तरह सरेया वार्ड नं एक की 50 वर्षीय शीला देवी, बरौली बड़ा बढ़ेया की 75 वर्षीया देवंती देवी, जादोपुर के प्रभुनाथ राय, कररिया गांव के निवासी 63 वर्षीय उषा देवी, महम्मदपुर थाना के कुशहर गांव की 70 साल की साबूजा खातून, सीवान के बड़हरिया के योगेंद्र प्रसाद समेत सांस के 11 मरीजों को भर्ती कराया गया था. इसमें अस्थमा का अटैक व प्रदूषण से बीमार होकर अस्पताल पहुंचे थे. यह सिर्फ सदर अस्पताल के हालात थे. वहीं प्राइवेट अस्पतालों में सर्वाधिक मरीज पहुंच रहे हैं. इनमें प्रतिदिन 20- 25 मरीजों को रेफर करना पड़ रहा है. अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ गयी है. बंजारी से ऑक्सीजन के सिलिंडर की सप्लाइ प्रतिदिन 150 से बढ़ कर तीन सौ से ऊपर पहुंच गयी है. जिले का एक्यूआइ पिछले 10 दिनों से तीन सौ से ऊपर बना हुआ है. रविवार को शहर का एक्यूआइ 306 से 330 दर्ज किया गया. लगातार प्रदूषित हवा की वजह से कई स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. हवा में पाये जाने वाले हानिकारक कणों जैसे धूल, कालिख, धुआं शरीर में समस्या पैदा कर हैं. इससे बच्चों और बुजुर्गों को वायु प्रदूषण से काफी परेशानी होती है. बच्चे निमोनिया और ब्रोंकियोलाइटिस – ब्रोन्किओल्स की सूजन जैसी बीमारियाें की चपेट में आ रहे हैं. लंबे समय तक वायु प्रदूषण में रहने वाले लोगों के हार्ट और फेफड़ों पर भी इसका असर पड़ रहा है. खेतों में जल रहे पराली, तो शहर में कचरा बदलता मौसम, घना कोहरा, खेतों में पराली जलाने और शहर में जहां-तहां फैला कचरा, नालों के पानी के सड़कों पर बजबजाते पानी से निकल रही बदबू, जहां-तहां कचरों के जलने के कारण यह लोगों के लिए मुसीबत बन गया है. लोगों की सेहत को बीमार कर रहा है. नगर परिषद भी शहर के प्रदूषण को रोकने के प्रति पूरी तरह से खामोश है. शहर के काली मंदिर रोड में नाले की सफाई नहीं होने के कारण नाले का पानी सड़क पर बजबजा रहा है. उसमें से निकल रही दुर्गंध लोगों की मुश्किलें बढ़ा रही है. बनारस अस्पताल के डॉ प्रवीण तिवारी ने बताया कि हवा में हल्की ठंड का एहसास शुरू हो चुका है. ठंड के कारण धुंध बढ़ती है और धुंध से प्रदूषण के कण नीचे आ जाते हैं, जो हार्ट तक पहुंचते हैं. इससे हार्ट की बीमारी की आशंका बनी रहती है. उम्र के ज्यादा हो जाने के कारण बीमारी से लड़ने की शारीरिक क्षमता कम हो जाती है. सर्दी, खांसी, बुखार, बदन दर्द जैसी परेशानियों के साथ बुजुर्गों में सांस की परेशानी या अस्थमा का अटैक सामान्य है. सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ शशि रंजन प्रसाद ने बताया कि बुजुर्ग का इम्यून सिस्टम वीक होता है, इस वजह से उन्हें बीमारियां तेजी से पकड़ती हैं. वीक इम्यून सिस्टम को दूषित हवा में मौजूद हानिकारक तत्वों से निबटने में कठिनाई होती है. ऐसे में बुजुर्गों को गंभीर अस्थमा और सांस लेने में तकलीफ की परेशानी होती है. वायु प्रदूषण के कारण आंखों में खुजली और जलन, गले में खराश और स्किन पर चकत्ते बुजुर्गों में होने वाली एक आम परेशानी है. वायु प्रदूषण बुजुर्गों के दिल पर भी प्रभाव डालता है. पॉल्यूशन के कारण दूषित हवा में सांस लेने से रक्त का प्रवाह धीमा पड़ जाता है जिससे बुजुर्गों में हार्ट अटैक का खतरा भी बढ़ जाता है.
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