गोपालगंज. शब-ए-बरात का त्योहार अकीदत के साथ मनाया गया. लोग रातभर नमाज, तिलावत और दुआओं में मशगूल रहे. शाम होते ही जिलेभर के कब्रिस्तानों में युवाओं और बुजुर्गों ने फातिहा पढ़कर अपने पूर्वजों की मगफिरत के लिए अल्लाह से दुआ मांगी. इशा की नमाज के बाद जिले के दरगाह शरीफर, रजोखर नवादा, फतहां, तकिया, बसडीला, तिरविरवां, इंदरवां आदि कब्रिस्तानों में फातिहा पढ़ने का सिलसिला चलता रहा.
पूर्वजाें की गलतियों की मांगी माफ
ीइसके बाद रातभर मस्जिदों, ईदगाहों, कब्रिस्तानों में जाकर अपने पूर्वजों की गलतियों की माफी मांगी. साथ ही सभी की सलामती की दुआ मांगी की गयी. बच्चे हो या बड़े, सभी उत्साहित दिखे. जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सइदुल्लाह कादिरी ने कहा कि मुस्लिम कैलेंडर के मुताबिक शाबान माह की 14 तारीख को शब-ए-बरात का त्योहार मनाया गया. शब-ए-बरात दो शब्दों, शब और बरात से मिलकर बना है. शब का अर्थ है रात. वहीं बरात का अर्थ बरी होना होता है. मुसलमानों के लिए यह रात बहुत फजीलत की रात होती है. इस दिन विश्व के सारे मुसलमान अल्लाह की इबादत की. दुआएं मांगी गयी और अपने गुनाहों की तोबा करते हुए अकीदतमंद दिखे.
शब-ए-बरात के 15 दिन बाद शुरू होगा माह-ए-रमजान
शब-ए-बरात के 15 दिन बाद रमजान शुरू होगा. रमजान को लेकर मुस्लिम समुदाय के लोग तैयारी में जुट गये हैं. मौलाना सइदुल्लाह कादिरी ने बताया कि माह-ए-रमजान अल्लाह की रहमते और इनायतों का महीना होता. ये आश्वस्त की कमाई और नेकियों का जखीरा जमा करने का खास महीना होता है, जिसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गयी है. इस माह का बुनियादी अमल रोजा है, जो हर मुसलमान पर फर्ज है. चाहे वो गरीब हो या मालदार. रमजान में सभी को अपनी गलतियों को सुधारने का मौका मिलता है. गलतियों से तोबा करने और अच्छाइयों के बदले बरकत पाने के लिए भी इस महीने इबादत का महत्व है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है