गोपालगंज. विश्व मानवाधिकार दिवस के मौके पर मंडल कारा चनावे में संसिमित बंदियों के बीच मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया. यह कार्यक्रम बिहार मानवाधिकार आयोग एवं बिहार राज्य विधिक सेवा प्राधिकार के संयुक्त निर्देश पर जिला विधिक सेवा प्राधिकार की ओर से किया गया. कार्यक्रम में प्राधिकार के सचिव अनूप कुमार उपाध्याय एवं डिप्टी चीफ लीगल एट डिफेंस काउंसिल मधुसूदन तिवारी द्वारा बंदियों के मानव एवं मौलिक अधिकारों के लिए कारा अधिनियम 1894 के अंतर्गत विभिन्न अधिकार, अभिरक्षा में रखने की पूरी जानकारी दी. अधिवक्ता से परामर्श या न्यायालय में बचाव पक्ष रखने के लिए अपनी पसंद का अधिवक्ता, विधिक सेवा संस्थानों तक पहुंच, अपील रिवीजन दायर करने का अधिकार, कोर्ट द्वारा कागजात को प्राप्त करने का अधिकार, गिरफ्तारी के वक्त गिरफ्तार व्यक्तियों के अधिकार, मुफ्त विधिक सहायता, त्वरित विचारण, निष्पक्ष विचारण, क्रूरता एवं अनावश्यक दंड से रोकथाम, आत्मसम्मान की रक्षा, परिवार के सदस्य मित्र एवं अधिवक्ता से संपर्क करना. सेल में रखना और हथकड़ी पर रोक, प्रताड़ना से मुक्ति, प्रमाणित मजदूरी देना, गलत गिरफ्तारी एवं अवैध प्रताड़ना पर मुआवजा देने के बारे में बताया गया. कारा अधिनियम के तहत बंदियों के अधिकार को बताया गया कि बंदियों के रहने की व्यवस्था, चिकित्सकों द्वारा चिकित्सीय जांच करवाना, पुरुष एवं महिला बंदियों को अलग-अलग रखना, सिविल मामले एवं आपराधिक मामलों में बंदियों को अलग-अलग तथा सजायाफ्ता एवं विचाराधीन बंदियों को अलग-अलग रखना, गर्भवती महिला बंदियों की समय-समय पर चिकित्सीय जांच एवं चिकित्सीय सलाह के अनुसार दवाई तथा भोजन की व्यवस्था करने पर विस्तार से चर्चा की गयी. कार्यक्रम में काराधीक्षक सत्येंद्र कुमार सिंह एवं प्रधान प्रोबेशन पदाधिकारी द्वारा भी मानवाधिकार दिवस पर विस्तृत प्रकाश डाला गया.
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