गोपालगंज. जिले में फसल अवशेष जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन ने ठोस कदम उठाये हैं. जिला पदाधिकारी प्रशांत कुमार सीएच के निर्देश पर अपर समाहर्ता आशीष कुमार सिन्हा ने सोमवार को एक अंतर्विभागीय कार्य समूह की बैठक का आयोजन किया. इस बैठक में फसल अवशेष प्रबंधन के उपायों पर चर्चा की गयी और किसानों को जागरूक करने के लिए विभिन्न कार्यक्रमों की योजना बनायी गयी. बैठक में सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण प्रियंका कुमारी ने बताया कि खरीफ अभियान के तहत किसानों को प्रखण्ड स्तर पर कार्यशालाओं में फसल अवशेष न जलाने की जानकारी दी जा रही है. उन्होंने यह भी बताया कि खेतों में फसल अवशेष जलाने के बजाय बेलर मशीन का उपयोग, वर्मी कंपोष्ट बनाना, और मिट्टी में फसल अवशेष मिलाने जैसी विधियों को अपनाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. अपर समाहर्ता ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों को हैप्पी सीडर से गेहूं की बोआई के महत्व के बारे में भी जानकारी दी जाये. आत्मा द्वारा पंचायत स्तर पर आयोजित किसान चौपालों और कृषि विभाग के अन्य कार्यक्रमों में फसल अवशेष नहीं जलाने के मुद्दे पर किसानों को समय-समय पर जागरूक किया जा रहा है. इसके अलावा, समाचार पत्रों में विज्ञापनों के माध्यम से भी किसानों को इस विषय पर जानकारी दी जा रही है. फसल अवशेष जलाने से वायुमंडल में कार्बन डाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, और अन्य हानिकारक यौगिकों की मात्रा बढ़ती है, जो वायु प्रदूषण का कारण बनती है. इससे जलवायु परिवर्तन की समस्या भी गंभीर हो सकती है. इस संबंध में आम जनता को जागरूक करने के लिए रेडियो जिंगल का भी सहारा लिया जा रहा है. बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि गोपालगंज जिले में 80 कंबाइन हॉर्वेस्टर धारक परिचालकों को फसल अवशेष न जलाने के संबंध में शपथ पत्र देने के निर्देश दिये जायेंगे. शपथ पत्र प्राप्त करने की प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है, और कंबाइन हार्वेस्टर संचालन के लिए पास जारी करने के लिए आवेदन पत्र भी लिये जा रहे हैं. किसानों को फसल अवशेष नहीं जलाने के लिए कृषि यांत्रिकीकरण योजना के तहत 50 से 80 प्रतिशत तक अनुदान भी दिया जा रहा है. इस योजना में स्ट्रॉ बेलर, सुपर/हैप्पी सीडर, जीरो टिलेज सीड-कम-फर्टिलाइजर ड्रिल, रीपर-कम-बाईडर, और अन्य उपकरण शामिल हैं. इस प्रकार के प्रोत्साहन से किसानों को नयी तकनीकों का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. अपर समाहर्ता ने इन प्रयासों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिये हैं ताकि फसल अवशेष जलाने की प्रवृत्ति को नियंत्रित किया जा सके. इस बैठक में सहायक निदेशक कृषि अभियंत्रण प्रियंका कुमारी, जिला कृषि पदाधिकारी ललन कुमार सुमन, जिला मत्स्य पदाधिकारी मनोरंजन कुमार और निदेशक राकेश कुमार चौबे भी उपस्थित थे. इस प्रकार के ठोस प्रयासों से उम्मीद की जा रही है कि गोपालगंज में फसल अवशेष जलाने की समस्या को नियंत्रित किया जा सकेगा और साथ ही पर्यावरण को भी सुरक्षित रखा जा सकेगा.
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