Gopalganj News : बदला मौसम का मिजाज, अब गुलाबी ठंड की ओर बढ़ीं रातें, सोमवार को आसमान में बादलों के छाये रहने से दिखा बदलाव
Gopalganj News : सोमवार को मौसम का मिजाज अचानक बदला हुआ था. सुबह बादलों का कब्जा बना रहा. धूप पर बादल भारी पड़ा. धूप बेदम हो गयी.
गोपालगंज. सोमवार को मौसम का मिजाज अचानक बदला हुआ था. सुबह बादलों का कब्जा बना रहा. धूप पर बादल भारी पड़ा. धूप बेदम हो गयी. पिछले 24 घंटे के भीतर पारा में छह डिग्री का अंतर आ गया. आधा अक्तूबर के बीतने के साथ ही रात में ठंड का असर होने लगा है. दिन का तापमान अब भी 32 डिग्री के आसपास बना हुआ है. रात का तापमान कम होने से ठंड का एहसास बढ़ने लगा है. मौसम विज्ञानी बताते है कि ला-नीना के असर होने के कारण अक्तूबर के अंत में गुलाबी ठंड का अहसास होने लगेगा. मौसम पर प्रदूषण का भी खतरा बना हुआ है. प्रदूषण पर शहर के लोग गंभीर नहीं हुए तो स्वभाविक रूप से इसका खामियाजा भी हमें ही भुगतना पड़ा है. रविवार को दिन का तापमान 34.8 डिग्री सेल्सियस व न्यूनतम तापमान 26.5 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. जबकि सोमवार को दिन का तापमान 3.6 डिग्री गिरकर 31.2 पर आ गया. वहीं रात का पारा 5.2 डिग्री गिर कर 21.3 पर पहुंच गया. आर्द्रता 82% व पुरवा हवा 3.6 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से चलती रही. गोपालगंज समेत उत्तर बिहार में इस बार सर्दी का सितम अधिक होगा. नवंबर से जनवरी तक सबसे अधिक ठंड महसूस होगी. मौसम वैज्ञानी डॉ एसएन पांडेय के मुताबिक ला-नीना के 20 अक्तूबर के बाद से सक्रिय होने के कारण ही मौसम अपना रंग बदलेगा. इस बार सर्दी लंबे समय तक पड़ेगी और ला-नीना समय से पहले सक्रिय हो जायेगा. रात के तापमान में भी तेजी से बदलाव आ रहा है. आने वाले कुछ हफ्तों में अधिकतम और न्यूनतम तापमान में तेजी से गिरावट देखने को मिल सकती है. ठंड बढ़ने से सर्दी, जुकाम, बुखार के बढ़े मरीज वहीं, तेजी से बदल रहे माैसम को देखते हुए चिकित्सक भी सेहत के प्रति सावधान रहने की सलाह दे रहे हैं. बनारस अस्पताल के फिजिशियन डाॅ प्रवीण त्रिपाठी का कहना है कि पिछले एक सप्ताह से ही दिन और रात के माैसम में काफी बदलाव आ चुका है. रात में पहले से अधिक ठंड होने लगी है. लगातार ठंड बढ़ने से सर्दी, जुकाम, बुखार के मरीज बढ़ रहे हैं. आने वाले समय में सर्दी और असर दिखायेगी. इसलिए संतुलित जीवनशैली अपनाएं. वहीं मौसम विज्ञानी डॉ पांडेय ने बताया कि ला-नीना का आशय भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में महासागर की सतह के तापमान के आवधिक शीतलन से है. आमतौर पर ला-नीना तीन से पांच साल या उससे अधिक समय में अधिक सक्रिय होता है. इस परिस्थिति में समुद्र के अधिक ठंडा होने का असर हवाओं पर पड़ता है. यही स्थिति इस बार बन रही है.
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