गोपालगंज. मॉडल सदर अस्पताल में गंभीर मरीजों को इलाज की सुविधा नहीं मिल रही है. सदर अस्पताल में ही गंभीर मरीजों को बेहतर इलाज मिले, इसके लिए ट्राॅमा सेंटर बनाया गया. स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने 2020 में इसका उद्घाटन किया, लेकिन मॉडल सदर अस्पताल ऐसी चुनौतियों से निबटने के लिए तैयार नहीं है. विकसित जिला होने के बावजूद यहां इमरजेंसी केयर और आधुनिक ट्रॉमा सेंटर की सुविधाएं मरीजों को अब तक नहीं मिल पायी हैं. मॉडल सदर अस्पताल में सिर्फ सेकंडरी केयर सुविधाएं हैं, इसलिए जब भी कोई गंभीर घायल यहां पहुंचता है, तो उसे मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर कर दिया जाता है. ट्रॉमा सेंटर चालू नहीं होने का दर्द मरीजों को झेलना पड़ रहा है. 70 लाख की लागत से तैयार हुआ था ट्रॉमा सेंटर केंद्र सरकार की ओर से 70 लाख रुपये की राशि स्वीकृत कर सदर अस्पताल परिसर में 20 फरवरी 2020 को ट्रॉमा सेंटर बनाया गया और महंगी मशीनों के साथ ट्रॉमा सेंटर का आइसीयू से लैस एंबुलेंस भी केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग की ओर से उपलब्ध करायी गयी, लेकिन आज तक इसे चालू नहीं कराया जा सका. एंबुलेंस के चालक की दुर्घटना में मौत हो गयी, तब से एंबुलेंस धूल फांक रही है. ट्रॉमा सेंटर का 2020 में स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय, सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन ने उद्घाटन किया था, लेकिन आज तक चालू नहीं हो सका. अब अस्पताल प्रशासन ने ट्रॉमा सेंटर का बंद कर उसमें सीटी स्कैन और एक्सरे सेंटर को शिफ्ट करा दिया. दोनों जांच सेंटरों के कब्जे में यह भवन है. मरीज हर रोज बेहतर इलाज के लिए सदर अस्पताल से रेफर किये जा रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी उदासीन बने हैं और जनप्रतिनिधि ध्यान नहीं दे रहे हैं. वहीं इस संबंध में सीएस डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि सदर अस्पताल में हमारे यहां जगह की कमी है. नया भवन बन रहा है, उसमें ट्रॉमा सेंटर को शिफ्ट किया जायेगा. तब तक इमरजेंसी वार्ड में ही ट्रॉमा सेंटर चल रहा है. मशीनें लगा दी गयी हैं और ट्रॉमा सेंटर के भवन में फिलहाल एक्सरे और सीटी स्कैन चल रहा है. दूसरा ट्रॉमा सेंटर झझवा में चल रहा है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है