32 करोड़ रुपये की लागत से हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल का होगा कायाकल्प, बढ़ेंगी सुविधाएं

हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल अब मॉडल अस्पताल बनेगा. लगभग 32 करोड़ की लागत से अस्पताल का कायाकल्प होगा. जर्जर एवं पुराने भवन तोड़ कर उस जगह पर नये भवन बनाये जायेंगे. बिहार मेडिकल सर्विस इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन के द्वारा भवन बनाये जायेंगे.

By Prabhat Khabar News Desk | August 8, 2024 9:58 PM

हथुआ. हथुआ अनुमंडलीय अस्पताल अब मॉडल अस्पताल बनेगा. लगभग 32 करोड़ की लागत से अस्पताल का कायाकल्प होगा. जर्जर एवं पुराने भवन तोड़ कर उस जगह पर नये भवन बनाये जायेंगे. बिहार मेडिकल सर्विस इन्फ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन के द्वारा भवन बनाये जायेंगे. तीन वर्ष में नये भवन बन कर तैयार हो जायेंगे. इसके बाद एक ही छत के नीचे मरीजों को सारी सुविधाएं मिलेंगी. इसके अलावा ओपीडी, इमरजेंसी, ऑपरेशन थियेटर, प्रसव कक्ष, प्रशासनिक भवन रहेंगे. इससे मरीजों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा. जल्द ही पुराने एवं जर्जर भवन तोड़ने का कार्य शुरू कर दिया जायेगा. इसके लिए बीएमएसआइसीएल के द्वारा भवन बनाने के लिए तैयारी शुरू कर दी गयी है. लगभग 164 वर्ष पुराने भवन में अस्पताल के महत्वपूर्ण विभाग चल रहा था. इसमें इमरजेंसी वार्ड, प्रसव कक्ष, ऑपरेशन थियेटर, प्रशासनिक विभाग पुराने भवन में संचालित हो रहे थे. वहीं नये भवन में ओपीडी तथा दवा वितरण केन्द्र, पैथोलॉजी सेंटर, एक्सरे आदि संचालित होता है. स्थिति यह है कि पुराने भवन में चल रहे विभागाें के कर्मियों एवं मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ता था. आये दिन प्रसव कक्ष एवं इमरजेंसी वार्ड में छत से पानी टपकता था. इससे कमरे एवं बेडों पर पानी लगा रहता था. 100 बेड के इस अस्पताल में नये भवन बन जाने से मरीजों को काफी सहूलियत मिलेगी. अनुमंडलीय अस्पताल हथुआ की 1860 में विक्टोरिया अस्पताल के नाम से स्थापना हुई थी. 27 एकड़ में फैला यह अस्पताल सारण प्रमंडल का सबसे बड़ा अस्पताल माना जाता था. अंग्रेजों के द्वारा स्थापित इस अस्पताल में उस जमाने में बेहतर सुविधाएं दी जाती थीं. इससे दूर-दराज से मरीज इलाज के लिए आते थे. धीरे-धीरे समय बीतता गया और यह अस्पताल आज भी 164 वर्ष पुराने एवं जर्जर भवन में चलता रहा. स्थिति यह है कि अस्पताल प्रशासन के पास भी इस भूमि का कोई दस्तावेज नहीं है, जिससे यह आकलन किया जा सके कि अस्पताल की कुल भूमि कितनी है. फिलहाल अस्पताल की चहारदीवारी से ही भूमि का आकलन किया जाता है. हालांकि अस्पताल के अगल-बगल भी कई सरकारी भवन बने थे, जिसे अतिक्रमण कर कब्जा कर लिया गया. फिलहाल अस्पताल के पुराने भवन को ही तोड़ कर नये भवन बनाने की कवायद चल रही है.

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