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लू के थपेड़ों ने झुलसाया, स्कूली बच्चे हुए बेहाल

गर्मी और तेज धूप ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. तीखी धूप लोगों के चेहरे और हाथ-पैर के त्वचा को झुलसाने लगी है. पछुआ हवा 37.2 किमी की रफ्तार से चलती रही. हीट वेव का अलर्ट जारी है.

गोपालगंज. गर्मी और तेज धूप ने लोगों की परेशानी बढ़ा दी है. तीखी धूप लोगों के चेहरे और हाथ-पैर के त्वचा को झुलसाने लगी है. पछुआ हवा 37.2 किमी की रफ्तार से चलती रही. हीट वेव का अलर्ट जारी है. दोपहर में 11:30 बजे से लेकर 1:45 बजे तक स्कूलों की छुट्टी हो रही. छुट्टी में धूप में झुलसते हुए बच्चे घर आ रहे हैं. इससे बच्चों में बीमार होने की संख्या बढ़ गयी है. सरकारी स्कूलों में गर्मी की छुट्टी है. लेकिन स्कूलों में बच्चे के लिए दक्ष मिशन की क्लास चल रही. वहीं प्राइवेट स्कूलों में 11:30 बजे तो केंद्रीय विद्यालय में 1:30 बजे छुट्टी हो रही है. हीट वेव को देखते हुए भी डीएम के स्तर से स्कूलों के लिए आदेश जारी नहीं हो रहे. नतीजा है कि बच्चे स्कूल से घर आने के दौरान लू की चपेट में आ रहे हैं. पशु-पक्षी पानी के लिए भटक रहे हैं. उधर, गोपालगंज समेत उत्तर बिहार व यूपी के पूर्वाचल में 65 साल बाद वेट बल्ब टेंपरेचर की चपेट में हैं. इसमें 43 डिग्री सेल्सियस में ही 45-47 डिग्री सेल्सियस वाली गर्मी का एहसास हो रहा है. क्योंकि, शरीर से पसीना निकलता है, लेकिन वाष्पीकरण नहीं होने से शरीर को ठंडक नहीं मिलती. गुरुवार को अधिकतम तापमान 44.1 डिग्री, तो न्यूनतम 28.2, तो पछुआ हवा 37.2 किमी की रफ्तार से चलती रही. मौसम विज्ञानी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि वेट-बल्ब टेंपरेचर को मापने का मॉडर्न मेथड है, जिसमें एटमॉस्फियर में मौजूद हीट और मॉयस्चर दोनों स्थितियों को मापा जाता है. उससे पता चलता है कि एटमॉस्फेयर में हीट और मॉयस्चर का संतुलन कितना है. थर्मामीटर के बल्ब को गीले मलमल के कपड़े में लपेट कर लिये जाने वाले तापमान को वैट बल्ब टेंपरेचर कहते हैं. मौसम में जब वेट बल्ब की स्थिति बनती है, तो एट्मॉस्फेयर में मौजूद मॉयस्चर की वजह से बॉडी से पसीना तो निकलता है, लेकिन वातावरण की नमी उसे सूखने नहीं देती. इससे शरीर को ठंडा करने का तंत्र फेल होने लगता है. इससे हार्ट, लंग्स और किडनी के फेल होने का खतरा बढ़ जाता है. एक्सपर्ट की सलाह- दिन में 11 बजे से 3 बजे तक आवश्यकता पड़ने पर ही बाहर निकलें. धूप के सीधा संपर्क में रहने से जितना हो सके बचें. बाहर छाता लेकर जाएं. पशुओं के लिए दरवाजे पर पानी रखवाएं, तो पक्षियों के लिए भी पानी रखें. डाॅक्टर के परामर्श पर त्वचा के टाइप के अनुसार ही क्रीम का उपयोग करें. प्राकृतिक चीजों के संपर्क में रहें. हरी सब्जियां और फल खाएं, पानी अधिक पीएं. झाई वाले मरीज स्टेरॉयड वाली क्रीम का उपयोग बिल्कुल भी ना करें, अन्यथा समस्या और भी बढ़ सकती है. सनस्क्रीन का इस्तेमाल डॉक्टर के परामर्श पर ही करें.

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