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दी गोपालगंज सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की भोरे शाखा में 2.99 करोड़ के घोटाले की जांच शुरू

दी गोपालगंज सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की भोरे शाखा में हुए 2.99 करोड़ की फ्रॉड की जांच शुरू हो गयी है. गुरुवार को संयुक्त निदेशक सहयोग समितियां सारण प्रमंडल सैयद मशरूख आलम के नेतृत्व में पहुंची स्टेट लेवल टीम फ्रॉड के रिकॉर्ड को खंगालने में जुट गयी है.

गोपालगंज. दी गोपालगंज सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक की भोरे शाखा में हुए 2.99 करोड़ की फ्रॉड की जांच शुरू हो गयी है. गुरुवार को संयुक्त निदेशक सहयोग समितियां सारण प्रमंडल सैयद मशरूख आलम के नेतृत्व में पहुंची स्टेट लेवल टीम फ्रॉड के रिकॉर्ड को खंगालने में जुट गयी है. जांच से कई महत्वपूर्ण राज खुलकर सामने आये हैं. घोटाले की शुरुआत विजयीपुर से शुरू होने के साक्ष्य सामने आये हैं. घोटाले में वरीय अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो रही है. बैंक की ओर से हुई इंटरनल जांच की रिपोर्ट भी सौंपी गयी है. जांच में बैंक के और भी कर्मी और अधिकारी जांच के घेरे में हैं. यहां बता दें कि भोरे शाखा में फ्रॉड करने के आरोपित शाखा प्रबंधक चौधरी संजय कुमार रमाकांत विजयीपुर शाखा के प्रबंधक थे. विजयीपुर में शौचालय अनुदान में फ्रॉड के बाद कई ग्राहकों ने सिविल कोर्ट में इस फ्रॉड को लेकर मुकदमा भी दायर कर दिया. कोर्ट में मुकदमा के बाद एमडी ने विजयीपुर के शाखा प्रबंधक चौधरी संजय कुमार रामाकांत को भोरे शाखा का प्रबंधक बना दिया. जबकि सहायक मुकेश कुमार सिंह को बैकुंठपुर शाखा में तबादला कर दिया गया. अगर विजयीपुर में हुए फर्जीवाड़े में बैंक के स्तर पर एक्शन लिया गया होता, तो भोरे शाखा से 2.99 करोड़ रुपये तथा बैकुंठपुर शाखा में 60 लाख का फ्रॉड नहीं हो पाता. बैंक से जुड़े जानकार सूत्रों ने बताया कि विजयीपुर शाखा में शौचालय के राशि को फर्जी तरीके से निकासी की सूचना मिलने के बाद बैंक के निदेशक मंडल ने गंभीरता से लेकर शाखाओं की कंक्रीट ऑडिट कराने का निर्णय लिया था. बोर्ड ने ऑडिटर से कॉन्टैक्ट कर जांच कराने का आदेश दिया था, लेकिन उसपर कोई एक्शन नहीं हुआ. बैंक के निदेशक मंडल द्वारा निर्णय लिया गया कि भोरे के साथ अब विजयीपुर तथा कटेया शाखा का विभाग स्तर से उच्चस्तरीय कमेटी गठित कर जांच कराने का निर्णय लिया था. साथ ही जांच की अनुशंसा की गयी थी. जांच में अभी फ्रॉड की राशि के बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव संतोष मल्ल के आदेश पर बैंक के प्रबंध निदेशक सैयद मशरूक आलम ने हाइलेवल जांच की जा रही है. आरोपित भोरे के शाखा प्रबंधक चौधरी संजय कुमार रामाकांत ने अपने सहयोगी पेंटा आइटी सहायक संजय यादव, सहायक संजीव कुमार को मैनेज कर फ्रॉड को अंजाम दिया. ग्राहक जो अपनी राशि को फिक्स कर सर्टिफिकेट लेकर चले गये. उसके बाद उस फिक्स के एवज में अपने आइडी से लोन स्वीकृत कर राशि को 12 अपने करीबियों के खाते में ट्रांसफर कर लिया गया. कुल 67 लोगों के डिपॉजिट से यह खेल हुआ है.

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