किचेन का बजट गड़बड़ाया, थाली से गायब होने लगीं सब्जियां
गोपालगंज : मालवीय नगर में रहने वाली गृहिणी कंचन देवी कहती हैं कि बढ़ती कीमत ने किचेन का बजट सवा गुना बढ़ा दिया है. लॉकडाउन में सब्जियां सौ रुपये में झोला भर जाते थे. आज तीन सौ की सब्जियों में एक परिवार का काम चल पा रहा.
गोपालगंज : मालवीय नगर में रहने वाली गृहिणी कंचन देवी कहती हैं कि बढ़ती कीमत ने किचेन का बजट सवा गुना बढ़ा दिया है. लॉकडाउन में सब्जियां सौ रुपये में झोला भर जाते थे. आज तीन सौ की सब्जियों में एक परिवार का काम चल पा रहा. रसोई का इन सब्जियों ने स्वाद ही खराब कर रखा है. थाली से सब्जियां गायब हो गयी है. जबकि मिडिल क्लास के सामने आर्थिक संकट भी कम नहीं है. आलू, प्याज और टमाटर का भाव आसमान पर है. प्याज की कीमत में तेजी फसलों का नुकसान बताया जा रहा है. वहीं आलू के दाम बढऩे का कारण कोल्ड स्टोरेज मालिकों की मुनाफाखोरी है. जबकि टमाटर महंगा होने की वजह सीजन न होने के साथ दूसरे प्रांत से आने से काफी मालभाड़ा लगना है.
टमाटर का थोक रेट भी बढ़ा है
टमाटर बेंगलुरु से आ रहा है. इनका थोक रेट बढऩे से फुटकर दाम में भी वृद्धि हुई है. सब्जी व्यापारी राकेश प्रसाद ने बताया कि पहले किसान अपना माल मंडी में बेचता था. कोल्ड स्टोरेज मालिक किसानों से सीधे आलू खरीदकर बड़े व्यापारियों को बाहर भेज दे रहे हैं. जिसके कारण आलू के रेट में काफी उछाल आ गयी है.
सब्जी मंडी व चौराहे में भी अंतर
शहर में आप सब्जी खरीदने जा रहे तो ध्यान रखे. बड़ी बाजार में गांवों से सब्जियां लाकर बेचने वाले से खरीदते है तो 50 रुपये किलो परवल मिलेगा. बगल में स्थायी सब्जी बेचने वाले 60 रूपये किलो तो चौक चौराहे के दुकानों पर सब्जी बेचने वाले 70 रुपये किलो बेच रहे. रेट को लेकर कभी कोई अभियान भी नहीं चला. मनमानी के एवज में कई खाकी वाले सब्जियां वसुलते देखे जाते है.
दाल, तेल और घी की कीमत में फिर उछाल
इस हफ्ते दाल की कीमत 10, सरसों तेल दो व वनस्पति घी के दाम में तीन रुपये किलो की बढ़ोतरी हुई. सरसों का तेल, घी की कीमत में बढ़ोतरी कंपनियों के दाम बढ़ाना और आवक कम होने से हो गई है. थोक कारोबारी राजेश प्रसाद ने बताया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में अगस्त माह तक दाल की फसल तैयार हो जाती है. फसलें खराब होने से दाल की कीमत में तेजी आयी है. चीनी, आटा, सूजी, मैदा का दाम स्थिर है.
posted by ashish jha