रोचक प्रसंग…और 1989 में आधी रात को भाषण देने के लिए सबेया में आये थे प्रधानमंत्री राजीव गांधी, फिर भी हार गयी थी कांग्रेस
– राजीव गांधी को देखने के लिए रात तक जन सैलाब से भरा रहा सबेया हवाई अड्डा
– तब कांग्रेस के काली प्रसाद पांडेय को राजमंगल मिश्र ने हरा कर दर्ज की थी जीत
संजय कुमार अभय, गोपालगंज
Loksabha Election 2024: लोकसभा चुनाव आज डिजिटल दौर में पहुंच गया है. प्रचार की जिम्मेदारी सोशल मीडिया ने ले ली है. 1989 के लोकसभा चुनाव में ना तो मोबाइल था ना ही संपर्क के संसाधन. फोन भी सीमित लोगों तक था. लोकसभा चुनाव अपने शबाब पर था. 18 नवंबर 1989 को कांग्रेस के उम्मीदवार काली प्रसाद पांडेय के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए प्रधानमंत्री राजीव गांधी आधी रात को सबेया हवाइअड्डा पर आये थे. खुद एंबेसडर कार चलाकर प्रचार करने आये. उनको देखने के लिए रात में भी लाखों की भीड़ थी. रात के 1.30 बजे से 2.30 बजे तक भाषण दिये. काली प्रसाद पांडेय के पक्ष में वोट देने की अपील किये. इसके बाद भी काली प्रसाद पांडेय को हार का सामना करना पड़ा. तब जनता दल के प्रत्याशी पं राजमंगल मिश्र ने काली पांडेय को हराया और सांसद चुने गये. कांग्रेस सेवा दल के प्रदेश उपाध्यक्ष प्रेमनाथ राय शर्मा ने बताया कि प्रधानमंत्री को सबेया में शाम चार बजे आना था. सभा की तैयारी व्यापक थी. लाखों की संख्या में लोगों का हुजूम था. उसी दौरान बलरामपुर (यूपी) में कांग्रेस नेता संजय सिंह को गोली लग गयी. तो वे स्पेशल विमान से बलराम पुर चले गये. लौटे तो सबेया में प्लेन को उतरना संभव नहीं था तो गोरखपुर एयरफोर्स के हवाइअड्डा पर उतर कर खुद एंबेसडर कार चलाकर सबेया पहुंचे. रात के 1.30 बजे तक राजीव गांधी की एक झलक पाने के लिए लोगों की भीड़ जमी रही.
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स्वागतम् इंदिरा के पुत्र तेरा… गीत से हुए थे काफी प्रभावित
पूर्व सांसद काली प्रसाद पांडेय ने कहा कि सबेया में राजीव गांधी के स्वागत में एक युवक ने गीत गाया था कि ‘स्वागतम् इंदिरा पुत्र तुम्हारा…’ गीत से काफी प्रभावित हुए थे. राजीव गांधी की सभा में जितनी भीड़ थी, उतनी मेरे जीवन में कही नहीं दिखी. वह भीड़ ऐतिहासिक थी.
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नागवार गुजरा काली प्रसाद पांडेय का राजीव गांधी से संबंध
कांग्रेस सेवा दल के प्रेमनाथ शर्मा की माने तो सभा के दौरान राजीव गांधी काली प्रसाद पांडेय को अपने पास बैठा कर काफी अपनापन दिखा रहे थे. यह बात एक खेमे को नागवार लग गयी. पार्टी के अंदर में ही माहौल ऐसा बदला कि काली प्रसाद पांडेय को चुनाव में मुंह की खानी पड़ गयी.
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