44.1 डिग्री पर पहुंचा पारा, तीखी धूप ने जलाया तन
भीषण गर्मी के थपेड़ों ने एक बार फिर जानलेवा रुख अख्तियार कर लिया है. ताप इतना बढ़ गया है कि शाम पांच बजे भी सड़क पर चलने पर शरीर पर जलन हो रही है.
गोपालगंज. भीषण गर्मी के थपेड़ों ने एक बार फिर जानलेवा रुख अख्तियार कर लिया है. ताप इतना बढ़ गया है कि शाम पांच बजे भी सड़क पर चलने पर शरीर पर जलन हो रही है. घर की दीवारें तप रही हैं. धरती धधक रही है. सड़क पर बाइक से चलने पर आग जैसा महसूस होता रहा. बुधवार को अधिकतम तापमान 44.1 डिग्री सेल्सियस रहा. उमस को दूर करने के लिए लोग कूलर का सहारा ले रहे हैं, पर पुरवा हवा के मंद पड़ने के कारण लोगों को उमस से राहत नहीं मिल पा रही है. सुबह सात बजते ही सूर्यदेव अपने पूरे रौ में आ गये थे. जैसे-जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे-वैसे उमस भरी गर्मी लोगों को टॉर्चर करने लगी. दिन के 12 बजते ही मौनिया चौक, कलेक्ट्रेट रोड, जादोपुर रोड, बंजारी रोड में सन्नाटा पसर गया. आंबेडकर चौक पर भी वीरानगी दिखी, जो शाम छह बजे के बाद जाम जैसे हालात बन गये. रात में भी उमस कम नहीं होने से लोग जाग कर बीता रहे हैं. एक तरफ हवा से राहत तो दूसरी ओर, पसीने से बिछावन भीगा रहता है. गर्मी के कारण दिमाग भी डिसऑर्डर होने लगा है. इससे सदर अस्पताल में मरीजों की भीड़ दिख रही है. लोग तनाव, बेचैनी, श्वांस, खांसी, बुखार से पीड़ित होकर पहुंच रहे. गर्मी से लोग बेहोश होकर आ रहे हैं. प्रमुख शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मंकेश्वर सिंह ने बताया कि हीट स्ट्रोक का मतलब है शरीर का जरूरत से ज्यादा गर्म हो जाना. अधिकांशतः यह उन लोगों के साथ होता है जो लंबे समय तक तेज धूप और बढ़े हुए तापमान के सीधे संपर्क में रहते हैं. इसके कारण शरीर का तापमान 104 डिग्री फॉरेनहाइट या इससे भी ऊपर तक पहुंच सकता है. यह स्थिति कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है. इसको लेकर लोगों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए. बनारस अस्पताल के डॉ प्रवीण तिवारी ने बताया कि हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. इलाज मिलने तक मरीज को घर के अंदर या किसी छांव वाली जगह पर रखें. शरीर के तापमान को कम करने का प्रयास करें. उसे पानी भरे टब में या शॉवर के नीचे खड़ा कर दें. गीले तौलिये, आइस पैक आदि मरीज के माथे, गर्दन, बगल में रखें. इन उपायों से शरीर के तापमान को कंट्रोल किया जा सकता है.
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