लॉकडाउन के बीच अपने शिशु को लेकर परेशान हो रही गर्भवती महिलाएं
गोपालगंज : डॉक्टर…बहुत डर लग रहा है. कहीं मेरे बच्चे को कोरोना तो नहीं हो जाएगा! क्या गर्भस्थ शिशु भी संक्रमित हो सकता है? सरेया की रहने वाली महिला को इन दिनों यही चिंता सता रही है. वह पहली बार मां बनने वाली हैं. मीरगंज की 22 वर्षीय अनन्या भी ऐसे ही सवाल का उत्तर […]
गोपालगंज : डॉक्टर…बहुत डर लग रहा है. कहीं मेरे बच्चे को कोरोना तो नहीं हो जाएगा! क्या गर्भस्थ शिशु भी संक्रमित हो सकता है? सरेया की रहने वाली महिला को इन दिनों यही चिंता सता रही है. वह पहली बार मां बनने वाली हैं. मीरगंज की 22 वर्षीय अनन्या भी ऐसे ही सवाल का उत्तर चाहती है. ये चिंता गर्भवती महिलाओं को है. डॉ सरिता कुमारी के पास इस तरह की कॉल आ रही है. कोरोना के महामारी का खौफ तो सिर चढ़कर बोल रहा. सामने वाले को सर्दी हो गयी तो लोग कोरोना मानकर दूरी बना ले रहे.
वहीं डॉ पुष्पा राय का मानना है कि इस माहौल में महिलाओं के लिए घर ही बेहतर है. केवल प्रसव के लिए ही अस्पताल लाएं. डॉक्टरों का कहना है कि घर पर रहने से संक्रमण का खतरा 98 फीसदी तक कम हो जाता है. महिला को सांत्वना और अपने पन की जरूरत होती है, जो उसे घर ही मिल सकती है.गर्भवती महिलाओं को घर पर ही रहने की चिकित्सक दे रहे सलाहकोरोना वायरस के संक्रमण का भय गर्भवती महिलाओं में वर्तमान में इतना ज्यादा हो गया है कि वह इस समय प्रसव ही नहीं चाह रही हैं.
शहर के नर्सिंग होम बंद है. सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं की संख्या घट गई है. केवल उन्हीं को भर्ती किया जा रहा है जिनका प्रसव एक दो दिन में होना है. ऐसी महिलाओं को घर पर ही रहकर विश्राम करने की सलाह चिकित्सक दे रहे हैं.प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोरशहर के प्रमुख डॉक्टर सुमन का कहना है कि कोरोना का असर गर्भस्थ शिशु पर नहीं पड़ता है, फिर भी गर्भवती महिलाओं को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ानी चाहिए.
इसके लिए उन्हें पौष्टिक और संतुलित आहार लेना चाहिए. सदर अस्पताल के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अग्रवाल का कहना है कि कोरोना का असर गर्भस्थ शिशु पर तभी पड़ेगा जब उसकी मां कोरोना से पीड़ित हो. हालांकि इस संदर्भ में अध्ययन जारी है, हालांकि अब तक ऐसा कोई मामला नहीं आया है.