गोपालगंज. जिले में खाद्य तेलों की कीमतों में वृद्धि ने त्योहारों के मौसम में घरेलू बजट पर असर डाला है. खाद्य तेलों के दाम में आयी इस उछाल की कई वजहें हैं, जिनमें प्रमुख कारण केंद्र सरकार द्वारा बेसिक इंपोर्ट टैक्स में 20 फीसदी की बढ़ोतरी है. इसके प्रभाव से सरसों तेल, सोया रिफाइंड और पाम रिफाइंड के दाम में वृद्धि देखने को मिली है, जिससे आम लोगों की जेब पर सीधा असर पड़ा है. शनिवार को बाजार में सरसों तेल की कीमत 135 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 155 रुपये प्रति लीटर हो गयी है. सोया रिफाइंड तेल की कीमत 112 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 125 रुपये प्रति लीटर हो गयी है. पाम रिफाइंड तेल की कीमत 106 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 120 रुपये प्रति लीटर हो गयी है. डालडा वनस्पति तेल की कीमत भी 105 रुपये प्रति लीटर से बढ़कर 120 रुपये प्रति लीटर हो गयी है. कीमत वृद्धि के कारणों में केंद्र सरकार द्वारा आयात शुल्क में बढ़ोतरी और अंतरराष्ट्रीय बाजार में आपूर्ति में कमी शामिल है. व्यवसायियों का कहना है केंद्र सरकार ने हाल ही में आयात शुल्क में वृद्धि की है, जो खाद्य तेलों की कीमतों पर सीधा असर डाल रही है. आयात शुल्क में वृद्धि के कारण, खाद्य तेलों की लागत बढ़ गयी है, जिसका परिणाम उत्पाद की कीमतों में वृद्धि के रूप में सामने आया है. इसके अतिरिक्त, सोयाबीन का प्रमुख उत्पादक देश ब्राजील से आयात में कमी भी इस वृद्धि में योगदान दे रही है. इससे वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें बढ़ी हैं और यह असर घरेलू बाजार पर भी पड़ा है.व्यवसायियों का मानना है कि सरसों की खेती के क्षेत्र में भी कुछ बदलाव देखे जा रहे हैं. पिछले कुछ वर्षों में देश के कई इलाकों में सरसों की खेती का क्षेत्रफल बढ़ा है, जिससे सरसों के भाव में भी उछाल आया है. हालांकि, इस बढ़ती कीमत का असर किसानों की आमदनी पर भी पड़ा है, जो सरसों की खेती को अधिक लाभकारी बना रही है. इसके बावजूद उपभोक्ताओं को बढ़ी हुई कीमतों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे घरेलू बजट पर दबाव बढ़ गया है.स्थानीय बाजारों में जैसे कि जिला मुख्यालय के बड़ी बाजार की तेल मंडी, थावे, सासामुसा, मीरगंज और अन्य बाजारों में भी तेल की कीमतों में तेजी देखने को मिल रही है. त्योहारों के मौसम में तेल की मांग में वृद्धि के कारण व्यापारी भी कीमतों में इस उछाल को लेकर चिंतित हैं. कई व्यापारी तेल के बढ़ते दाम को लेकर आशंका जताते हुए स्टॉकिंग के दौरान मूल्य वृद्धि को लेकर सजग हैं. इस परिस्थिति ने किचन संभाल रहीं गृहणियों को भी झटका दिया है, जो त्योहारों के समय में उच्च खाद्य तेल की कीमतों के कारण अपने घरेलू बजट को पुनः संवारने में संघर्ष कर रही हैं.
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