जनता ने जताया भरोसा, तो टूटा 44 साल का मिथक, डॉ आलोक कुमार सुमन ने चुनाव जीत रचा इतिहास
लोकसभा चुनाव में जनता ने जदयू प्रत्याशी डॉ आलोक कुमार सुमन पर भरोसा जताया और लगातार दूसरी बार उन्हें अपना सांसद चुना. मंगलवार को चुनाव परिणाम ने पिछले 44 साल की न सिर्फ मिथक को तोड़ा, बल्कि एक नया इतिहास भी रचा.
गोपालगंज. लोकसभा चुनाव में जनता ने जदयू प्रत्याशी डॉ आलोक कुमार सुमन पर भरोसा जताया और लगातार दूसरी बार उन्हें अपना सांसद चुना. मंगलवार को चुनाव परिणाम ने पिछले 44 साल की न सिर्फ मिथक को तोड़ा, बल्कि एक नया इतिहास भी रचा. सांसद डॉ आलोक कुमार सुमन को दूसरी बार वोटों के बड़े अंतर से जीत मिली. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद का गृह जिला होने के बावजूद एनडीए ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज की. वर्ष 2014 में बीजेपी ने जीत हासिल की. उसके बाद लगातार दो बार से जदयू ने जीत हासिल की है. चुनाव आयोग के हार-जीत के पिछले आंकड़ों पर गौर करें, तो 1962 से 1980 तक द्वारिका नाथ तिवारी लगातार चार बार सांसद बने रहें. 1980 के चुनाव में नगीना राय ने उन्हें पराजित किया. इसके बाद लगातार दूसरी बार गोपालगंज में कोई सांसद नहीं बन सका. 1984 में निर्दलीय काली प्रसाद पांडेय चुनाव जीते. 1991 में अब्दुल गफूर सांसद चुने गये, उसके बाद 1996 में जनता दल से लालबाबू यादव सांसद चुने गये. 1998 में फिर से अब्दुल गफूर सांसद चुने गये. 1999 में रघुनाथ झा जदयू से सांसद चुने गये. उसके बाद 2004 में अनिरुद्ध प्रसाद उर्फ साधु यादव सांसद चुने गये. फिर यह सीट सुरक्षित हो गयी और यहां से जदयू से 2009 में सांसद पूर्णमासी राम चुने गये. इसके बाद 2014 में बीजेपी से जनक राम और फिर 2019 से लगातार डॉ आलोक कुमार सुमन सांसद चुने गये हैं. ऐसे में गोपालगंज में हार-जीत का सिलसिला चलता रहा, लेकिन 44 वर्षों में लगातार दूसरी बार कोई सांसद नहीं बना.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है