gopalganj news . भोरे में सरकारी जमीन की रद्द होगी जमाबंदी, सीओ ने भेजा प्रस्ताव

भोरे में सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री और उसकी जमाबंदी में प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद अब उसकी जमाबंदी रद्द करने की कवायद शुरू कर दी गयी है

By Prabhat Khabar News Desk | October 18, 2024 8:39 PM

भोरे. भोरे में सरकारी जमीन की खरीद-बिक्री और उसकी जमाबंदी में प्रभात खबर में खबर प्रकाशित होने के बाद अब उसकी जमाबंदी रद्द करने की कवायद शुरू कर दी गयी है. इसे लेकर अंचल कार्यालय की ओर से अपर समाहर्ता को जमाबंदी रद्दीकरण का प्रस्ताव भेजा गया है. आदेश मिलते ही जमाबंदी रद्द की जाएगी. वहीं, इस मामले में कानूनी कार्रवाई के लिए भी उच्च अधिकारियों से मंतव्य मांगा गया है. दूसरी तरफ मामले का खुलासा होने के बाद अंचल कार्यालय में हड़कंप मच गया है. बता दें कि इमलिया मौजा में खाता नंबर – 229, खेसरा नंबर 140, रकबा 19 कट्ठा 13 धुर, जो खतियान में गैर-मजरूआ मालिक करके दर्ज है, इस जमीन का कुछ हिस्सा 1995 में इमिलिया निवासी कुंदन भगत के पुत्र जुड़ावन भगत ने अपने ही गांव के पूरण भगत के पुत्र चौरी भगत और श्यामलाल भगत के नाम से बैनामा कर दिया था. 24 साल बाद तत्कालीन सीओ जितेंद्र कुमार सिंह, राजस्व कर्मचारी महेश कुमार सिंह और की चंद्रशेखर गुप्ता ने इसकी जमाबंदी भी कर दी. मामला संज्ञान में आने के बाद भोरे के सीओ अनुभव राय ने जमाबंदी रद्द करने का प्रस्ताव गोपालगंज की अपर समाहर्ता को भेज दिया है. जमाबंदी रद्दीकरण का आदेश मिलने के तुरंत बाद जमाबंदी को रद्द कर दिया जाएगा और आगे की कार्रवाई के लिए उच्च अधिकारियों से पत्राचार क्रमण काव्य माना गया है. भ्रष्टाचार में पहले भी सस्पेंड हो चुका था राजस्व कर्मचारी पैसे लेकर जमाबंदी करने का खेल राजस्व कर्मचारी महेश कुमार सिंह के समय में बहुत हुआ. शिकायत मिलने के बाद विभाग ने महेश कुमार सिंह को सस्पेंड कर विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी थी. इसके अलावा उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी. बाद में निलंबन की अवधि जब समाप्त हुई, तो उनकी पोस्टिंग थावे हुई, जहां से वह सेवानिवृत्त हो चुका है. तीन राजस्व कर्मचारियों के जिम्मे में 17 पंचायत का काम भोरे में सबसे बड़ी परेशानी राजस्व कर्मचारियों की कमी है. महज तीन कर्मचारियों के जिम्मे में 17 पंचायत का काम है. जिसका नतीजा है कि एक-एक कर्मचारी के पास चार-चार प्राइवेट आदमी काम कर रहे हैं जिससे आम लोगों का दोहन किया जा रहा है. दाखिल-खारिज के नाम पर वसूली चरम पर है. इसकी शिकायत लगातार स्थानीय लोगों ने वरीय पदाधिकारी से भी की है.

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