Smart Meter से बिहार का हर परिवार परेशान, राजद देगी धरना, जगदानंद ने किये 13 सवाल
Smart Meter: स्मार्ट मीटर के विरोध में लालू यादव की राजद 01 अक्तूबर को धरना देगी. आज राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने नीतीश सरकार से 13 सवाल पूछे.
Smart Meter. लालू यादव की राजद जिला के सभी प्रखंड मुख्यालयों पर स्मार्ट मीटर के खिलाफ 01 अक्तूबर को धरना देगी. यदि सरकार ने स्मार्ट मीटर को वापस लेने का निर्णय नहीं लिया, तो आंदोलन का रूप और बड़ा होगा. गोपालगंज राजद के जिलाध्यक्ष दिलीप कुमार सिंह तथा प्रधान महासचिव इम्तेयाज़ अली भुट्टो ने सरकार पर स्मार्ट मीटर के बहाने बिहार की जनता को लूटने का आरोप लगाते हुए कहा कि स्मार्ट बिजली मीटर से आम जनता परेशान है और राज्य सरकार सुनियोजित लूट में लगी हुई है. बिहार का प्रत्येक परिवार स्मार्ट मीटर से परेशान है, पूरे प्रदेश से इस मीटर को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही हैं. अकेले बिहार में जितना स्मार्ट मीटर लगे हैं उतना तो पूरे देश में नहीं लगे हैं. इन नेताओं ने कहा कि राजद ने पूर्व में ही स्मार्ट मीटर हटाने के साथ साथ 200 यूनिट फ्री बिजली की घोषणा कर दी है. राजद ने सरकार को 45 दिनों का अल्टीमेटम दिया है कि वो इस अवधि के दौरान स्मार्ट मीटर लगाना बंद करे, वरना राजद किसी भी मीटर लगाने वाले कर्मचारी और अधिकारियों को गांव में घुसने नहीं देगा. स्मार्ट मीटर के खिलाफ ये आंदोलन की अभी शुरुआत है, यदि सरकार ने अपना फैसला वापस नहीं लिया, तो आंदोलन का स्वरूप बहुत बड़ा होगा.
क्या बोले जदयू प्रदेश अध्यक्ष
जदयू प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने कहा कि बिजली स्मार्ट मीटर पर विपक्षी दलों का विरोध राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित है. स्मार्ट मीटर को लेकर आम जनता में भ्रम फैलाने के लिए विपक्ष हर रोज नये हथकंडे अपना रहा है. वर्ष 2005 से पहले गरीबों की झोंपड़ी में बिजली की पहुंच सिर्फ कपोल कल्पना थी. आज नीतीश सरकार में ‘हर घर बिजली’ योजना के तहत सुदूर गांवों तक निर्बाध बिजली आपूर्ति हो रही है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को लालटेन युग से बाहर निकाल कर बिजली के क्षेत्र में नया मानक स्थापित किया है. प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि राजद की सरकार में बिजली का आना एक उत्सव के रूप में देखा जाता था. आज प्रदेश के शहरी क्षेत्रों में 23 से 24 घंटे और ग्रामीण क्षेत्रों में 21 से 22 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है. प्रति व्यक्ति बिजली की खपत भी 70 यूनिट से बढ़कर अब 360 यूनिट हो चुकी है. साथ ही बिजली आपूर्ति के मामले में बिहार आज देश के कई समृद्ध राज्यों से आगे खड़ा है और पूरे प्रदेश के लिए यह अत्यंत गौरव का विषय है.
राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने किये 13 सवाल
जगदानन्द सिंह ने राज्य सरकार से पूछा है कि 5 रूपये प्रति युनिट के हिसाब से बिजली खरीद कर 5.85 रूपये से 8 रूपये प्रति युनिट के हिसाब से क्या बिक्री नहीं की जा रही है? फिक्सड चार्ज और विद्युत शुल्क ये दोनों चार्ज क्यों लिए जा रहे है राज्य सरकार बताएं? बिहार में बिजली का उत्पादन शुन्य है क्या यह आम लोगों को बताया गया है. जो बिजली बिल आ रहा है उसमें गड़बडि़यां है, उस पर सवाल खड़ा किया गया है लेकिन उस पर जवाब अब तक नहीं आया है. बिहार में बिजली बिल के नाम पर लूट मचा हुआ है और इस मामले में षडयंत्र करने के पीछे जो थे उसका नाम नीतीश कुमार है. जब सरकार के उर्जा मंत्री के जवाब से काम नहीं चला तो मुख्यमंत्री को स्वयं आना पड़ा लेकिन वो भी आमजनों को संतुष्ट नहीं कर पा रहे हैं. यह सवाल न आपका है न हमारा है, यह जनता का सवाल है लेकिन उसपर सरकार मौन है. खेती के लिए किसानों को केवल आठ घंटे ही बिजली क्यों दी जा रही है?
उन्होंने आगे कहा, ‘भयंकर सुखाड़ के वक्त भी सरकार के स्तर से किसानों को खेती के लिए बिजली नहीं दी गई और किसानों के सोलह घंटे कटौती के बिजली को अन्य राज्यों को सस्ते दर पर बिजली बेची जा रही है. सच तो यह है कि 2023-2024 वर्ष में 22 सौ करोड़ की बिजली चार रूपये में 5280 मिलियन युनिट अन्य राज्यों को बेच दी गई. बिहार की खेती को बर्बाद करने के लिए डबल इंजन की सरकार दोषी है. यूपीए-1 की सरकार ने 4 अप्रैल, 2005 को राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना शुरू की तभी से हीं बिहार के गांवों में बिजली लगाने का कार्य शुरू हुआ और बिहार को बिजली से रौशन करने में राष्ट्रीय जनता दल और लालू प्रसाद जी की जो भूमिका रही है उसे बताने में भाजपा-जदयू और एनडीए के अन्य नेता संकोच क्यों कर रहे हैं. जनता सच्चाई जानती है कि वर्ष 1998 से 2004 तक नीतीश भाजपा की केन्द्रीय सरकार ने मंत्री रहते बिहार को बिजली के मद में एक भी पैसे का योगदान नहीं करा पाये.’
आरजेडी प्रदेश अध्यक्ष ने आगे कहा, ‘स्व0 अटल जी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के रहते हुए वर्ष 2003 में नया विद्युत एक्ट बना उसमें युनिवर्सल विद्युत दर के बदले उत्पादन केन्द्रो द्वारा तय बिजली की दर लागू कराने में अपनी भूमिका के बारे में बतायेंगे, उसी समय से बिहार को अधिक कीमत पर बिजली खरीदना पड़ रहा है. संध्या काल में तो दस रूपये तक की युनिट चुकानी पड़ रही है. बिहार में नीतीश सरकार ने जो कार्य किया वही बिजली की बढ़ी दरो के लिए जिम्मेदार हैं क्योंकि उस समय केन्द्र की सरकार में नीतीश जी मंत्री थे. इतिहास का ज्ञान रखकर ही सत्तारूढ़ दल के नेता आमलोगों को सच्चाई बताएं? ईडी ने पूर्व सीएमडी के संबंध में कहा कि स्मार्ट मीटर लगाने वाली कम्पनियों से करोड़ों का घुस लिया गया और जो करोड़ों का घुस देगा वो अरबों कमाने के लिए लुट तो करेगा हीं. नीतीश जी इन कम्पनियों का हिस्सा किन-किन तक पहुंचा है ये आपकी पार्टी के नेता क्यों नहीं बता रहे हैं. इन्होंने कहा कि विरोधी अफवाह नहीं फैला रहे हैं बल्कि इस तरह के लूट और अत्याचार के खिलाफ जनता उठ खड़ी हुई है और आमजन आपके खिलाफ खड़ी है, ये आपको नहीं दिख रहा है.’
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