Loading election data...

लावारिस शवों को उनके वारिस तक पहुंचाने में सोशल मीडिया का लिया जायेगा सहारा

जिले में मिले लावारिस शवों की पहचान कराने के लिए पुलिस अभियान चलायेगी. इसके लिए सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों की मदद ली जायेगी. पुलिस का सोशल मीडिया विंग भी काफी मजबूत हो चुका है. इसका लाभ पुलिस लेने की तैयारी में है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 2, 2024 8:45 PM

गोपालगंज. जिले में मिले लावारिस शवों की पहचान कराने के लिए पुलिस अभियान चलायेगी. इसके लिए सोशल मीडिया सहित अन्य माध्यमों की मदद ली जायेगी. पुलिस का सोशल मीडिया विंग भी काफी मजबूत हो चुका है. इसका लाभ पुलिस लेने की तैयारी में है. गृह विभाग की ओर से जारी गाइडलाइंस के मुताबिक प्रक्रिया अपनायी जायेगी. एसपी स्वर्ण प्रभात ने बताया कि पहले चरण में जून 2023 से जून 2024 के बीच मिले अज्ञात शवों के संबंध में समीक्षा करते हुए कार्रवाई की जायेगी. जिले में हर साल औसतन 10 से 12 लावारिस शव मिलते हैं. इनमें मानसिक रोगियों सहित अन्य के शव शामिल रहते हैं. ऐसे शव मिलने पर 72 घंटे बाद पुलिस धर्म के अनुसार अंतिम संस्कार कराती है. इनकी पहचान के लिए उसकी फोटो और विवरण डीसीआरबी के जरिये आसपास के जिलों के थानों से लेकर अन्य जिलों में भेजा जाता है. सार्वजनिक स्थानों रेलवे स्टेशन, कचहरी, थाना परिसर सहित अन्य जगहों पर पोस्टर चस्पां कराया जाता है. मृतक के मानसिक रोगी होने की दशा में पुलिस ज्यादा परेशान नहीं होती है. हत्या करके फेंके गये शवों के मामले में हत्या का केस दर्ज होता है. इसकी विवेचना लंबे समय तक लंबित रहती है. ऐसे मामलों के निस्तारण, शवों की पहचान कराकर कातिलों तक पहुंचने के लिए जिले में अभियान चलाने की तैयारी एसपी ने की है. वहीं इस संबंध में एसपी स्वर्ण प्रभात ने बताया कि पूर्व में मिले लावारिस शवों की पहचान कराने के लिए अभियान चलाया जायेगा. पहले चरण में जून 2023 से लेकर जून 2024 तक मिले शवों के संबंध में अब तक हुई कार्रवाई की समीक्षा करके दोबारा जांच की जायेगी. जरूरत पड़ने पर एसआइटी का गठन कर ऐसे मामलों में आगे की कार्रवाई की जायेगी.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Exit mobile version