गोपालगंज. तिहाड़ जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस विश्नोई के तीन गुर्गे नेपाल भाग निकले. लॉरेंस विश्नोई के गुर्गे कमल राव, संतनु शिवम और दिनेश सिंह रावत की गिरफ्तारी के बाद सभी गुर्गे सतर्क हो गये और पुलिस से बचने के लिए नेपाल भाग निकले. पुलिस सूत्रों की मानें, तो नेपाल में तीनों गुर्गे छिपे हुए हैं. हालांकि एनआइए, एटीएस, एसटीएफ, आइबी और बिहार पुलिस इनकी तलाश में छापेमारी कर रही है. पुलिस की तीन टीमें मोतिहारी, मुजफ्फरपुर के अलावा राजस्थान में लॉरेंस विश्नोई गैंग के ठिकानों पर छापेमारी कर रही है. उधर, जेल में बंद गैंगस्टर के सक्रिय सदस्य कमल राव और संतनु शिवम को गोपालगंज पुलिस ने रिमांड पर लेकर पूछताछ की है. एनआइए और एटीएस भी इन गुर्गों से पूछताछ की है. पुलिस सूत्रों की मानें, तो राजस्थान से गुरुवार को गिरफ्तार कर लाये गये दिनेश सिंह रावत से भी सुरक्षा एजेंसियों ने पूछताछ की है. पूछताछ में गुर्गों ने कई राज उगले हैं. गैंग से जुड़े नये सदस्यों का नाम भी सामने आया है, जिसको लेकर पुलिस टीम और सुरक्षा एजेंसियों गिरफ्तारी के लिए छापेमारी करने में जुटी हुई है. पुलिस सूत्रों की मानें, तो राजस्थान से लॉरेंस के तीसरे गुर्गे दिनेश सिंह रावत की जब गिरफ्तारी हुई, तो उसने कई नये सदस्यों के नाम बताये. दिनेश सिंह रावत के मोबाइल से पुलिस टीम को कई अहम साक्ष्य भी मिले, जो लॉरेंस विश्नोई और अमन साहू से जुड़े हुए हैं. मोतिहारी और मुजफ्फरपुर के इलाके में छिपे गैंगस्टर के अन्य तीन गुर्गे भनक पाते ही नेपाल की तरफ भाग निकले, जिसके कारण पुलिस उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सकी. बिहार पुलिस की जांच में कई तथ्य सामने आये हैं. लॉरेंस के गुर्गे अमन साहू के लिए भी काम करते थे. अमन साहू झारखंड का गैंगस्टर है और काेयला कंपनियों के मालिकों को टारगेट पर लेकर रंगदारी वसूलता है. फिलहाल झारखंड की जेल में बंद है. अमन साहू के लिए काम करनेवाले कुख्यात मयंक सिंह ने एक एसएमएस जारी कर लॉरेंस के गिरफ्तार कमल राव को अपने गैंग का गुर्गा बताया है. एनआइए और एटीएस इसकी जांच कर रही है. पुलिस ने जिन गुर्गों को गिरफ्तार किया है, वे सभी विभिन्न प्रकार के ऐप के जरिये बातचीत करते थे. एक-दूसरे से बातचीत करने के लिए सिग्नल एप का भी सहारा लिया. पुलिस सूत्रों का मानना है कि इस तरह के ऐप से बातचीत करने का मकसद पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों को चकमा देना रहता है, लेकिन पुलिस बचने के लिए तमाम काेशिशों के बाद भी उन्हें टेक्निकल साक्ष्य के साथ गिरफ्तार कर राजस्थान से गोपालगंज लायी है. सूत्रों की मानें तो झारखंड में एक्सटॉर्शन के काले धंधे में अमन साहू का सिक्का चलता है, उस पर से लॉरेंस विश्नोई का साथ अमन के काले साम्राज्य को और मजबूती प्रदान कर रहा है. गोपालगंज से पहले रायपुर में हुई गिरफ्तारी चार गुर्गों की गिरफ्तारी में लॉरेंस और अमन के बीच की दोस्ती को प्रमाणित कर दिया था. अब तक जो जानकारी मिली है उसके अनुसार दोनों गैंग हथियार से लेकर कई दूसरे धंधे एक साथ मिलकर कर रहे हैं. बताया जाता है कि गैंगस्टरों के बीच मयंक सिंह उर्फ सुनील मीणा है, जिसने दोनों गैंगस्टरों को मिलाया है. मयंक सिंह ने गोपालगंज में ऑस्ट्रिया निर्मित चार विदेशी पिस्टल बरामद होने पर जिम्मेदारी ली थी और ये सभी पिस्टल अमन साहू के होने की बात एसएमएस भेजकर स्वीकारी थी. मयंक सिंह कहा है, इसके बारे में पुलिस के पास पुख्ता सबूत नहीं है. सुरक्षा एजेंसियों की मानें, तो वह मलयेशिया में बैठा है. लॉरेंस विश्नोई गिरोह और अमन गिरोह के बीच मयंक प्रमुख कड़ी है. उधर, गोपालगंज पुलिस की जांच में मयंक सिंह का नाम सामने आने के बाद उसकी तलाश में बिहार पुलिस जुट गयी है. पुलिस का मानना है कि वह राजस्थान का रहनेवाला है और दूसरे देश में बैठकर टेक्निकल सपोर्ट से गैंगस्टर अमन साहू का काम संभाल रहा है. ऑस्ट्रिया निर्मित विदेशी पिस्टल राजस्थान से गोपालगंज के रास्ते मुजफ्फरपुर और मोतिहारी पहुंच रहा था, जिसके बारे में मयंक सिंह ने खुद एसएमएस भेजकर जानकारी दी थी. मयंक और उसके सहयोगियों की तलाश में बिहार पुलिस राजस्थान में छापेमारी कर रही है. बताया जाता है कि तिहाड़ जेल में बंद लॉरेंस विश्नोई और झारखंड के जेल में बंद अमन साहू का नाम अनुसंधान में जुड़ने के बाद पुलिस इन दोनों गैंगस्टरों से पूछताछ कर सकती है. साथ ही जरूरत पड़ी तो दोनों गैंगस्टरों को बिहार पुलिस रिमांड पर लेकर पूछताछ कर सकती है. रिमांड पर लेने के लिए बिहार पुलिस को बड़े स्तर पर प्रोटेक्शन लेनी पड़ेगी, क्योंकि दोनों गैंगस्टर बड़े अपराधियों की सूची में हैं. फिलहाल यह केस गोपालगंज पुलिस के हाथ में है और एसपी स्वर्ण प्रभात के नेतृत्व में जांच चल रही है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है