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कोरोना के फाइटर

हथुआ : कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए पीएचसी प्रभारी डॉ बीएन चौधरी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. कोरोना वायरस के भय व खतरे के चल रहे माहौल में वैसे तो प्रशासन अपनी अहम भूमिका निभा रही है लेकिन डॉक्टर का दायित्व डॉ बीएन चौधरी बखूबी निभा रहे हैं. वह अपनी जिम्मेदारियों […]

हथुआ : कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए पीएचसी प्रभारी डॉ बीएन चौधरी मरीजों का इलाज कर रहे हैं. कोरोना वायरस के भय व खतरे के चल रहे माहौल में वैसे तो प्रशासन अपनी अहम भूमिका निभा रही है लेकिन डॉक्टर का दायित्व डॉ बीएन चौधरी बखूबी निभा रहे हैं. वह अपनी जिम्मेदारियों को लेकर दिन व रात एक किये हुए हैं. कोरोना से मुक्ति दिलाने के लिए फाइट कर रहे पीएचसी प्रभारी श्री चौधरी बताते हैं कि जब समय मिलता है तो खा लेता हूं और कुर्सी व गाड़ी में कुछ देर सो लेता हूं. मोबाइल बजते ही फील्ड में मरीजों की जांच के लिए निकल जाते हैं. हालांकि 22 पंचायतों में सूचना पर तुरंत डॉ बीएन चौधरी अपनी टीम लेकर पहुंच जाते हैं तथा लोगों को कोरोना जैसे संक्रामक बीमारी से बचने के लिए उपाय एवं उपचार करते हैं. कहते हैं कि इस महामारी में मरीजों का इलाज करने से बड़ा कोई पुण्य एवं धर्म का कार्य नहीं है. 69 वर्षीय इस्लाउदिनाद्दीन अंसारी घर-घर पहुंचा रहे हैं अखबार फोटो – 22अखबार बांटते हॉकर. फुलवरिया. कोरोना वायरस के इस जंग में फुलवरिया थाना क्षेत्र के माड़ीपुर गांव टोला भरपटिया निवासी 69 वर्षीय मो इस्लाउदिनाद्दीन अंसारी क्षेत्र के पांच सौ घरों में अपनों तक अखबार पहुंचा कर सच्ची खबर पहुंचाने की जिम्मेदारी आज भी बखूबी निभा रहे हैं. अंसारी उम्र के इस पड़ाव में साइकिल आज भी प्रतिदिन 30 किलोमीटर चला कर घर-घर तक देश-दुनिया की खबरें पहुंचाते हैं.

अंसारी की साइकिल की घंटी ट्रीन-ट्रीन सुनते ही पाठक अपने घरों से निकलकर अखबार लेते हैं. अंसारी ने 22 वर्ष पूर्व मीरगंज थाना क्षेत्र के बड़कागांव से अखबार पाठकों तक पहुंचाने का कार्य शुरू कर अपने कॅरियर की शुरुआत की थी. तब से सामाजिक दायित्व को अपना धर्म मानते हैं. आज कोरोना वायरस के जंग में फाइटर बने अंसारी मास्क और सैनिटाइजर के साथ घर-घर अखबार पहुंचाने की मुहिम में जुटे हैं. कोरोना से शहर को बचाने के नंदू ने उठायी जिम्मेदारीफोटो: 23 शहर की सफाई करता नंदू.बरौली. कोरोना के कहर से बचने के लिए एक तरफ जहां पूरा शहर घर में बंद है. वहीं नंदू अहले सुबह शहर की सड़कों पर कचरा ढोने वाली गाड़ी, बेलचा एवं झाड़ू लेकर पहुंच जाता है. नंदू का यह सफर तब तक चलता है जब तक सड़क साफ नहीं हो जाती. सिसई गांव का रहने वाला नंदू पिछले कई वर्षों से यह काम करता आ रहा है. नंदू को पत्नी हैं, बच्चे हैं जिनकी चिंता नंदू को है लेकिन उससे अधिक चिंता उसे शहर के लोगों की है. नंदू ने बताया कि कोरोना भगाने के लिए जितना हो रहा है मैं कर रहा हूं. छोटे से प्रयास से अगर कोरोना का कहर खत्म हो जाता है तो उसके लिए यह गर्व की बात है. कोरोना से डर तो नंदू को भी लगता है लेकिन उसे परिवार से पहले अपने शहर तथा देश की चिंता है.

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