वीआइपी को भोरे विधानसभा क्षेत्र में मिले सर्वाधिक वोट, कुचायकोट में सबसे कम

इस बार लोकसभा चुनाव का परिणाम कई मायनों में खास रहा. विधानसभा क्षेत्रवार वोटों का आंकड़ा सामने आने के बाद स्थानीय नेताओं की पोल-पट्टी खुलने लगी है. लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी के लिए किसने कितनी मेहनत की, इसका हिसाब-किताब भी वोटों के गणित से समझा जा सकता है.

By Prabhat Khabar News Desk | June 5, 2024 9:40 PM

गोपालगंज. इस बार लोकसभा चुनाव का परिणाम कई मायनों में खास रहा. विधानसभा क्षेत्रवार वोटों का आंकड़ा सामने आने के बाद स्थानीय नेताओं की पोल-पट्टी खुलने लगी है. लोकसभा चुनाव में अपने प्रत्याशी के लिए किसने कितनी मेहनत की, इसका हिसाब-किताब भी वोटों के गणित से समझा जा सकता है. एनडीए समर्थित जदयू के प्रत्याशी और पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष डॉ आलोक कुमार सुमन लगातार दूसरी बार सांसद चुने गये, लेकिन 2019 के चुनाव के मुकाबले जीत दर्ज कराने में वोटों का काफी अंतर रहा. पिछले चुनाव में दो लाख 86 हजार से अधिक वोटों से डॉ आलोक कुमार सुमन को जीत मिली थी, लेकिन इस बार एक लाख 27 हजार 180 वोट से जीत हासिल की. विधानसभा क्षेत्रवार वोटों के हार-जीत और समीकरण को देखा जाये, तो वीआइपी को राजद विधायकों के गढ़ में ही कम वोट मिले हैं. वीआइपी प्रत्याशी प्रेमनाथ चंचल पासवान और पार्टी को पूरी उम्मीदें थी कि लोकसभा चुनाव में महागठबंधन के विधायकों के गढ़ में सर्वाधिक वोट मिलेगा और चुनाव आसानी से निकल जायेगा, लेकिन चुनाव का परिणाम इतर हुआ. हथुआ और बैकुंठपुर दोनों विधानसभा में वीआइपी को सबसे कम वोट मिले. बैकुंठपुर विधानसभा क्षेत्र में राजद के प्रेमशंकर यादव यहां विधायक है. जदयू को यहां 84 हजार 916 वोट मिले और वीआइपी को 67 हजार 952 वोट मिले. बैकुंठपुर में कुल 16 हजार 964 वोटों का हार-जीत का अंतर रहा. वहीं, हथुआ विधानसभा क्षेत्र में राजद के राजेश कुशवाहा विधायक हैं. यहां जदयू को 85 हजार 431 वोट मिले है, वहीं, वीआइपी को 59 हजार 982 वोट मिले हैं. यहां 25 हजार 449 वोटों की हार-जीत का अंतर रहा है. लोकसभा संसदीय क्षेत्र में जदयू के दो विधायक हैं. यहां कुचायकोट और भोरे विधानसभा क्षेत्र में जदयू के विधायक हैं, इनमें भोरे विधानसभा के विधायक सुनील राम शिक्षा मंत्री भी हैं. बरौली और सदर विधानसभा सीट पर बीजेपी के विधायक हैं. जदयू को कुचायकोट विधानसभा में सर्वाधिक वोट मिले है. चुनाव परिणाम के आंकड़ों के अनुसार कुचायकोट में जदयू को 90 हजार 24 वोट मिले हैं. जबकि वीआइवी को सबसे कम वोट 53 हजार 239 मिले हैं. यहां जदयू 36 हजार 785 वोटों से बड़ी जीत हासिल की है. वहीं, भोरे विधानसभा में जदयू को 88 हजार 15 वोट मिले हैं, जबकि वीआइपी को सर्वाधिक वोट भोरे विधानसभा में 73 हजार 308 वोट मिले हैं. राजद का गढ़ नहीं होने के बावजूद वीआइपी को सर्वाधिक वोट यहां मिले. हालांकि जदयू 14 हजार 707 वोटों से यहां भी जीत हासिल की. वहीं दूसरी ओर, लोकसभा चुनाव में जदयू का वोट प्रतिशत भाजपा विधायकों के गढ़ में भी गिरा है. बरौली और सदर विधानसभा सीटों पर भाजपा के विधायक हैं. सदर विधानसभा में कुसुम देवी विधायक हैं. लगातार पांच बार से भाजपा के कब्जे में यह सीट रही है, बावजूद यहां एनडीए को 84 हजार 733 वोट मिले हैं. वीआइपी को 65 हजार 530 वोट मिले हैं. यहां 19 हजार 203 वोटों से जदयू ने जीत दर्ज की. वहीं, बरौली में सबसे कम वोट एनडीए को मिले हैं. भाजपा से विधायक रामप्रवेश राय हैं, लेकिन यहां एनडीए को सबसे कम 77 हजार 210 वोट मिले हैं. बात अगर महागठबंधन का करें, तो वीआइपी को 63 हजार 54 वोट मिले हैं. महज 14 हजार 156 वोटों से ही एनडीए को बरौली विधानसभा क्षेत्र में जीत मिली है.

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