गोपालगंज. नेपाल में बारिश थमने के बाद वाल्मीकिनगर बराज से गंडक नदी में पानी का डिस्चार्ज लेवल घटा है, लेकिन दियारा इलाके में लोगों की परेशानी नहीं कम हुई है. निचले इलाके में पानी घटने से बीमारियों का खतरा बढ़ गया है. हालांकि अब भी छह प्रखंडों के निचले इलाके में बसे 32 गावों में बाढ़ पानी है, यहां के लोगों का जीवनयापन करना मुश्किल हो गया है. बाढ़पीड़ितो में अधिकतर लोग ऊंचे स्थान पर शरण लिये हुए हैं. वहीं कई परिवार ऐसे हैं, जो अपना घर छोड़ना नहीं चाहते. वे बांस की मचान तैयार कर अपना शरण स्थल बनाये हुए हैं. राजवाही गांव में सभी झोंपड़ियां बाढ़ के पानी से लबालब भरी हैं. विद्यालय परिसर हो या किसान भवन, बाढ़ के फैले पानी से घिर चुके हैं. यही नहीं इस गांव की सभी सड़कें पानी में डूब चुकी हैं. गांव से बाहर आने व जाने के लिए इनका एकमात्र नाव ही सहारा है. इन्हें घंटों नाव आने की प्रतीक्षा करनी पड़ती है. गन्ना फसल बाढ़ के पानी में डूबे होने से बर्बाद होने के कगार पर है. बाढ़पीड़ित महिला ज्ञांती देवी ने बताया कि उनके घर में पानी भर गया है. चापाकल भी पानी के अंदर हो गया है. पानी पीने के लिए जान को जोखिम में डाल बाढ़ के पानी को पार कर लाना पड़ता है. ऊंचे स्थान पर शरण लिये हैं. कभी लिट्टी बनाते या कभी चूड़ा खाकर गुजर कर रहे हैं. वहीं, मदन भगत ने कहा कि बाढ़ की स्थिति ऊपर ही है. जादोपुर मंगलपुर पुल के पास बनायी गयी ठोकर के टूट जाने से तबाही मची है. इसको बनवाने के लिए कोई नहीं ध्यान नहीं दे रहा है. अगर यह ठोकर बन जाती, तो तबाही नहीं देखने को मिलेगी. फिलहाल बाढ़ के पानी में बास के मचान पर जीवन गुजर करना पड़ रहा है. कालामटिहनिया, फुलवरिया व पटेलनगर में परेशानी : कुचायकोट प्रखंड के कालामटिहनिया, फुलवरिया व पटेलनगर के ग्रामीणों की परेशानी बढ़ गयी है. यहां सड़क पर घुटने भर पानी सड़क पर बह रहा है. इलाके के लोग उंचे स्थानों पर शरण लिये हुए हैं. वहीं, भसही तटबंध पर कटाव का खतरा देख अधिकारियों ने तटबंध की सुरक्षा का जायजा लिया है.
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