कुवैत गये थे पैसा कमाने, ताबूत में सिमटकर लौटे वतन

गोपालगंज से तीन हजार 629 किलोमीटर दूर कुवैत में गये थे पैसा कमाने के लिए, ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकें और बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर उनका जीवन संवार सकें. मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था. कुवैत जाने के बाद अपने वतन ताबूत में सिमटकर लौटे हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | June 15, 2024 10:09 PM
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गोपालगंज. गोपालगंज से तीन हजार 629 किलोमीटर दूर कुवैत में गये थे पैसा कमाने के लिए, ताकि परिवार की आर्थिक स्थिति मजबूत कर सकें और बच्चों को बेहतर शिक्षा देकर उनका जीवन संवार सकें. मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था. कुवैत जाने के बाद अपने वतन ताबूत में सिमटकर लौटे हैं. कुवैत के अल-मंगफ इमारत में लगी आग के 72 घंटे बाद गोपालगंज के अनिल गिरि और शिवशंकर सिंह कुशवाहा का पार्थिव शरीर शनिवार की दोपहर में पहुंचा. ताबूत में सिमटकर पहुंचे शव को देखते ही परिजन और इलाके के लोग फफक कर रो पड़े. पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में दोनों शवों का दाह-संस्कार कराया गया. केंद्र और राज्य सरकार की ओर से मिलनेवाली मुआवजा राशि परिजनों को अबतक नहीं मिली है. बेसूध अवस्था में पड़ी अनिल गिरि की मां आदरमती देवी बेटे को खोने की तकलीफ बताकर फफक कर रो पड़ रही थीं. उन्होंने कहा कि कैसू कहूं अपनी तकलीफ, एक दिन पहले ही वीडियो कॉल पर बात हुई थी. सबकुछ ठीक था, लेकिन आग कैसे लगी, बताया नहीं गया. वहीं, अपने पति अनिल गिरि के पार्थिव शरीर को ताबूत में लिपटा देख प्रियंका गिरि दहाड़ मारकर रोने लगी. अनिल गिरि के पार्थिव शरीर को ताबूत में लेकर कटेया थाने की पुलिस कली छापर गांव में दरवाजे पर जैसे ही पहुंची, परिजन दहाड़ मारकर रोने लगे. प्रियंका गिरि ताबूत से लिपटकर रोने लगी. आसपास की महिलाएं उन्हें समझाकर ढाढ़स बंधा रहे थे. परिजनों ने बताया कि तीन साल तक कुवैत में रहने के बाद घर आये हुए थे. बच्चों और परिवार के साथ हरियाणा में गये, वहां से फिर कमाने चले गये. 15 महीने तक कुवैत में रहने के बाद 12 जून को सुबह में अचानक से आग लगने की खबर टीवी पर आने लगी. घबराये हुए परिजन फोन लगाना शुरू किया, तो अनिल गिरि का नंबर बंद पाया. तीन से चार घंटे बाद आसपास में काम करनेवाले लोगों को स्पॉट पर भेजा, तो हादसे की खबर मिली और फिर उनकी मौत की मनहूस खबर आयी. अनिल गिरि ने एक दिन पहले ही अपने बेटे मन्नत कुमार और बेटी महक कुमारी से बात की थी और छुट्टी में आकर समर वेकेशन में घुमाने का वादा किया था. बच्चाें ने कहा कि ””मेरे पापा समर वेकेशन में घर पहुंचे, मगर ताबूत में लिपटकर आये हैं””. बच्चों की बात सुनकर आसपास के लोगों की आंखें नम हो जा रही थीं. परिजनों के मुताबिक अनिल गिरि एनबीटीसी कंपनी में फेब्रिकेशन का काम करते थे. दाह-संस्कार में पुलिस प्रशासन के साथ गांव के सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. वहीं, कुवैत में अग्निकांड हादसा होने से एक दिन पहले ही शिव शंकर सिंह कुशवाहा ने अपनी पत्नी निर्मला देवी से वीडियोकॉल पर बात की थी. पति को खोने का दर्द बयां करते हुए निर्मला देवी बार-बार बेहोश हो जा रही थीं. गोपालपुर थाने के सपहां गांव के रहनेवाले शिवशंकर सिंह कुशवाहा का पार्थिव शरीर शनिवार को ताबूत में सिमटकर जैसे ही पहुंचा, तो परिजन दहाड़ मारकर रोने लगे. गोपालपुर के थानाध्यक्ष जितेंद्र कुमार की मौजूदगी में दाह-संस्कार कराया गया, जिसमें जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन मुकेश पांडेय समेत इलाके के सैकड़ों की संख्या में ग्रामीण शामिल हुए. परिजनों ने बताया कि शिवशंकर सिंह कुशवाहा पिछले एक दशक से कुवैत में नौकरी करते थे. उनके दो पुत्र मुकेश कुमार और अभिषेक कुमार 18 से 20 वर्ष हैं. शिवशंकर सिंह की माता गनेशिया देवी ने कहा कि बेटे के साथ इतना बड़ा हादसा हाेगा, कभी सोचा नहीं था. वहीं, मृतक का साला अखिलेश कुमार सिंह ने कहा कि घटना से पहले पूरे परिवार के सदस्यों से शिवशंकर सिंह ने बातचीत की थी. सबके बारे में पूछा था और फिर वतन आने के बाद कुवैत नहीं जाने की बात कही थी. मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था. कुवैत से वतन लौटे, मगर ताबूत में सिमटकर पहुंचे.

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