कोरोना महामारी में औषधीय पौधों की मांग बढ़ गई है.कोरोना महामारी में बीमारियों से लड़ने में मदद करने वाले औषधीय पौधों की बहुत ज्यादा मांग बढ़ गई है.कोरोना माहामारी से डरे लोग पहले से ज्यादा अपने स्वास्थय पे ध्यान देने लगे हैं. कोरोना महामारी की वजह से बाजार में औषधीय उत्पादों की भी मांग बहुत बढ़ गई है.औषधीय उत्पादों की मांग किसानों के लिए बहुत लाभकारी साबित हो रही है. उत्पादन कम और मांग अधिक होने के कारण किसानों को औषधीय फसलों के अच्छे दाम मिल रहे हैं.यही वजह हैं की किसान अधिक आमदनी की चाह में औषधीय पौधों की खेती की तरफ अपना रुख कर रहे हैं.
कुछ औषधीय पौधे का इस्तेमाल आयुर्वेदिक दवाएं बनाने में किया जाता है.बाकी औषधीय पौधे का उपयोग बहुत सारी कंपनियां सौदर्य प्रसाधन बनाने में करती हैं.इस तरह औषधीय पौधों से किसानों को अच्छी कमाई हो रही है.जो किसान पारंपरिक फसलों की खेती से अच्छी कमाई नहीं कर पा रहें हैं उनके लिए यह औषधीय पौधों की खेती बहुत लाभदायक साबित हो रही है.केंद्र सरकार और राज्य सरकारें भी किसानों की मदद करने के लिए आगे बढ़ रही हैं.
आत्मनिर्भरत भारत अभियान के तहत दिए गए आर्थिक पैकेज में औषधीय खेती को प्रोत्साहित करने के लिए 4000 करोड़ रुपए दिए गए हैं. राज्य सरकारें भी अपने स्तर पर औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा दे रही हैं.औषधीय पौधे की खेती करने के लिए इच्छुक किसान अपने जिले के बागवानी विभाग से संपर्क कर इस संबंध में अधिक से अधिक जानकारी ले सकते हैं.इसमें बीज पर अनुदान से लेकर प्रशिक्षण तक की व्यवस्था शामिल है.
इस कोरोना तुलसी,घृतकुमारी,ब्राह्मी,शंखपुष्पी,अश्वगंधा,गिलोय,भृंगराज,पुदीना,मोगरा और गूलर आदी औषधीय पौधों की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है.कोरोना महामारी में औषधीय पौधों की इतनी ज्यादा मांग बढ़ी है की कई लोग इन औषधीय पौधों को घर में भी लगाना शुरू कर दिए हैं.पिछले दो से ढ़ाई साल में सबसे ज्यादा गिलोय की मांग बढ़ी है.गिलोय के अलावा जिस दूसरे औषधीय पौधे की ज्यादा बिक्री हुई वो है तुलसी. कालमेघ की भी बहुत बिक्री हो रही है.