राजदेव पांडेय, पटना. शिक्षा विभाग ने बिहार के अनुसंधान को बढ़ावा देने अलग से एक रिसर्च कोष बनाया है. इसमें दो करोड़ की प्रारंभिक राशि का प्रावधान किया गया है. इससे प्रदेश के विश्वविद्यालयों और रिसर्च इंस्टीट्यूट्स को वित्तीय मदद दी जायेगी. इससे पहले शिक्षा विभाग संबंधित रिसर्च प्रोजेक्ट को अपनी कसौटी पर कसेगा.
शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने इस संदर्भ में सभी विश्वविद्यालयों व रिसर्च इंस्टीट्यूट से चर्चा करके निर्णय लिया है. विश्वविद्यालयों से रिसर्च प्रोजेक्ट भेजने के निर्देश भी दिये जा चुके हैं. रिसर्च प्रोजेक्ट में सभी तरह के कोर विषयों के प्रोजेक्ट शामिल होंगे. इस कोष से विश्वविद्यालयों के अलावा गैर विश्वविद्यालयी शोध संस्थानों में एएन सिन्हा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल स्टडीज, पटना, जगजीवनराम इंस्टीट्यूट ऑफ पार्लियामेंट्री स्टडी एंड पॉलिटिकल रिसर्च, प्राकृत शोध संस्थान वैशाली, मैथिली शोध संस्थान एवं काशी प्रसाद शोध संस्थान इत्यादि को वित्तीय मदद दी जानी है.
शिक्षा विभाग की उच्च शिक्षा निदेशक डॉ रेखा कुमारी ने बताया कि शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव के मार्ग दर्शन के बाद शोध को बढ़ावा देने अलग से फाइनेंस हैड बनाया गया है. अभी दो करोड़ का प्रावधान किया गया है.
पहले भी चुने हुए शोध प्रस्तावों को मिलता था 20-30 हजार का अनुदान
इंडियन साइंस कॉंग्रेस के महासचिव प्रो रणजीत कुमार वर्मा ने बताया कि बिहार में पहले भी बिहार काउंसिल ऑन सायंस एंड टेक्नोलॉजी विज्ञान के क्षेत्र में कुछ चुने हुए शोध प्रस्तावों को 20-30 हजार का अनुदान देती थी. मुंगेर विवि ने 2020 में विश्वविद्यालय स्तर पर बाहरी शोध अनुदान लाने वालों और स्तरीय शोध पत्रिकाओं में प्रकाशन, पेटेंट आदि के लिए प्राध्यापकों को 10 लाख तक के अनुदान का आंतरिक प्रावधान किया था. यह अभी बन्द है. पटना विश्वविद्यालय ने भी शोध पत्रों के लिएनगद प्रोत्साहन पुरस्कार देने का प्रावधान किया है.